तनवीर
हरिद्वार, 8 मार्च। सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उच्च पदों पर कार्यरत कई महिलाओं को सम्मानित किया गया। लेकिन समाज में कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो उच्च पदों पर ना रहते हुए भी सरकार व समाज के प्रति योगदान करने के साथ पारिवारिक जिम्मेेदारियों को भी निभा रही हैं। जिला सूचना कार्यालय में तैनात ऐसी ही एक महिला गीता राजपूत हैं। प्रांतीय रक्षक दल में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत गीता राजपूत फिलहाल जिला सूचना कार्यालय की सुरक्षा में तैनात हैं।
कोरोना के चलते किए गए लाॅकडाउन को सफलतापूर्वक लागू कराने में अन्य कार्मिकों की भांति गीता राजपूत ने भी उल्लेखनीय योगदान किया। महिला दिवस के दिन सामान्य रूप से अपनी डयूटी का निर्वहन कर रही गीता राजपूत का कहना है कि 2016 में पीआरडी में तैनात होने के बाद उन्होंने विभिन्न थानों व विभागों में सेवाएं दी हैं। पिछले एक वर्ष से वे जिला सूचना कार्यालय में तैनात हैं। गीता राजपूत ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान लोगों को कोरोना महामारी से बचाने व इसके प्रति जागरूक करने में अन्य कार्मिकों के साथ उन्होंने भी अपनी ओर से भरपूर योगदान किया।
इस दौरान उन्होंने कोई छुट्टी भी नहीं ली। महिला दिवस के विषय में उन्होंने कहा कि आज महिलाएं पुरूषों से किसी भी तरह पीछे नहीं है। भारत की महिलाएं राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। महिला दिवस पर महिलाओं को सम्मानित किए जाने से सभी महिलाओं को प्रेरणा मिलती है। सरकारों के स्तर पर महिलाओं के कल्याण के काफी कुछ किया जा रहा है। लेकिन जरूरत इससे भी ज्यादा करने की है।
महिलाएं कैरियर व परिवार संभालने की दोहरी भूमिका निभाती है। ऐसे में महिलाओं को अधिक अधिकार व रोजगार के भरपूर अवसर मिलने चाहिए। साथ ही महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। शहरों में जहां अधिक से अधिक बालिकाएं व लड़कियां पढ़ रही हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में सामाजिक व आर्थिक कारणों के चलते महिला शिक्षा की दर शहरों के मुकाबले काफी कम है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रसार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। यदि सभी महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो देश व समाज तेजी से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा। गीता राजपूत कहती हैं कि महिलाओं के प्रति समाज को अपना नजरिया बदलना चाहिए।
कैरियर व शिक्षा के लिए घर से बाहर जाने वाली महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार होना चाहिए। उन्हें हेय दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर पूर्ण रूप से अंकुश लगना चाहिए। इसके लिए समाज को आगे आना होगा। समाज के सहयोग से ही यह संभव हो पाएगा।