माता पिता हैं मनुष्य के प्रथम गुरू-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Dharm
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ब्यूरो


हरिद्वार, 1 अक्टूबर। श्री राधारासिक बिहारी मंदिर रामनगर कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया बिना गुरु के गति नहीं होती है। बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता है। इसलिए मनुष्य को गुरु की शरण में जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता हैं। माता-पिता से ही बच्चों को संस्कार मिलते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षा गुरु जिनसे हमें अच्छी-अच्छी शिक्षाएं मिलती हैं और फिर आता है दीक्षा गुरु जिनसे मंत्र प्राप्त कर मंत्र जाप द्वारा हम अपना अध्यात्म कल्याण कर सकते हैं। सद्गुरु ही हमें असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर लेकर जाता है।

गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान से भीतर का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में गुरु धारण अवश्य करना चाहिए। सप्तम दिवस की कथा में द्वारिकाधीश के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह का वर्णन, सुदामा चरित्र एवं दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन करते हुए सभी भक्तों ने सुखदेव का पूजन संपन्न किया।

इस अवसर पर मुख्य यजमान भैया कृष्णदास, मनीष सिंगला, शिखा सिंगल, शशिकांत भट्ट, संध्या भट्ट, हरिद्वार नगर निगम की प्रथम महिला महापौर अनिता शर्मा, देवेश गौतम, डा.अनिल भट्ट, वीना धवन, शांति दर्गन, रिंकू शर्मा, महेंद्र शर्मा, रुद्राक्ष भट्ट, रिंकी भट्ट, विमला देवी भट्ट, पंडित गणेश कोठारी, रीना जोशी, मोनिका बिश्नोई, पूर्व पार्षद रेणु अरोड़ा, दीप्ति भारद्वाज, रीना जोशी, हर्ष ब्रह्म, अन्नू शर्मा, सुषमा त्यागी, मधु इलाहाबादी, सारिका जोशी, कृष्ण कुमार आर्य, रेखा आर्य, अनुज आर्य, जोशना आर्य, किरण शर्मा, शिमला उपाध्याय, रश्मि गोस्वामी, किशोर गुप्ता, सोनिया गुप्ता, रिशु गोयल, भावना खुराना, सुमन चौहान आदि ने भागवत पूजन किया।

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