गोवर्धन पर्वत के दर्शन, पूजन और परिक्रमा से नष्ट होते हैं समस्त पाप-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
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अमरीश


हरिद्वार, 7 मई। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में दुर्गा मंदिर श्याम नगर कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ब्रज मंडल में स्थित गोवर्धन की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार पुलस्त्य मुनि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल पर्वत पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने द्रोणाचल पर्वत के पुत्र गोवर्धन पर्वत को देखा। गोवर्धन को देख कर के पुलस्त्य मुनि के मन में आया कि गोवर्धन को काशी नगरी में ले जाकर स्थापित किया जाए। द्रोणाचल पर्वत एवं गोवर्धन पर्वत दोनों ने विचार किया कि यदि पुलस्त्य मुनि की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं, तो मुनि श्राप दे देंगे।

गोवर्धन ने पुलस्त्य मुनि के सामने शर्त रखी कि आप जहां भी मुझे स्थापित करोगे मैं वहां से आगे नहीं बढूंगा। पुलस्त्य मुनि ने गोवर्धन की इस शर्त को स्वीकार करके अपनी हथेली के ऊपर गोवर्धन को धारण किया और आकाश मार्ग से काशी नगरी के लिए प्रस्थान किया। गोवर्धन ने जब ब्रज मंडल को देखा तो स्मरण आया कि यहां पर उनके प्रभु श्री कृष्ण का प्राकट्य होने वाला है और उन्हें कृष्ण लीला में सम्मिलित होना है। गोवर्धन ने अपना वजन बढ़ाया। पुलस्त्य मुनि शर्त को भूल गए और गोवर्धन को नीचे रखकर विश्राम किया और जब गोवर्धन को उठाने लगे तो गोवर्धन नहीं उठे।

गोवर्धन ने कहा कि आपके और मेरे बीच जो शर्त तय हुई थी, उसको याद कीजिए। अब में यहीं रहूंगा और भगवान श्री कृष्ण की लीला में सम्मिलित होउंगा। यह सुनकर पुलस्त्य मुनि को क्रोध आ गया और गोवर्धन को श्राप दिया कि आज से तुम प्रतिदिन तिल मात्र घटते जाओगे। जिस दिन तुम्हारा अस्तित्व मिट जाएगा। उसी दिन महाप्रलय होगा। तभी से गोवर्धन प्रतिदिन तिल मात्र घट रहे हैं। गोवर्धन का समर्पण देखकर स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन का पूजन किया और सभी ब्रज वासियों से गोवर्धन का पूजन कराया।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि आज से जो गोवर्धन का पूजन, परिक्रमा और दर्शन करेगा। उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और वह वैकुंठ लोक का अधिकारी बन जाएगा। शास्त्री ने बताया कि देवराज इंद्र ने भी गोवर्धन का पूजन एवं गोवर्धन की परिक्रमा की। दिनेश मल्होत्रा, पंडित अभिषेक मिश्रा, डा.कल्पना चैधरी, डा.अमित चैधरी, हरीश अरोड़ा, हरजीत अरोड़ा ज्योति शर्मा, दीपक सेठ, नीलम सेठ, पवन मिगलानी, भूषण लाल शर्मा, संजय शर्मा, कमल खत्री, रितिका खत्री, हर्षा खत्री, ममता खत्री, पंकज अरोड़ा, श्रीमती फुलेश शर्मा, प्रज्ञा शर्मा, शांति दर्गन, ममता शर्मा, सुनीता पाहवा, मधु मल्होत्रा, कोमल रावत, गुंजन जयसिंह, ज्योति शर्मा, पंडित गणेश कोठारी, वंदना जयसिंह आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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