ब्यूरो
हरिद्वार, 25 मई। दरिद्र भंजन महादेव मंदिर कनखल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और ज्ञान बिना गति संभव नहीं है। इसलिए मनुष्य को गुरु की शरण में अवश्य जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता हैं। इसके बाद शिक्षा गुरू और दीक्षा गुरू हैं। दीक्षा गुरू से प्राप्त मंत्र जाप से अध्यात्म कल्याण होता है। सद्गुरु ही शिष्य को असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर ले जाते है। गुरु से प्राप्त ज्ञान से भीतर का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। शास्त्री ने बताया कि स्त्री के लिए उसका पति ही उसका गुरु है। पत्नि पति रूपी गुरु से प्राप्त मंत्र का जाप करे तो उसका कल्याण होता है। सातवें दिन की कथा में कथाव्यास ने द्वारिकाधीश के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह, सुदामा चरित्र एवं दत्तात्रेय के 24 गुरुओं की कथा का श्रवण भी श्रद्धालुओं को कराया। मुख्य यजमान रीतेश गुप्ता, मुकेश गुप्ता, योगेश गुप्ता, गणेश गुप्ता, डीके गुप्ता, मुख्य पुजारी पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री, आशु गुप्ता, देव गुप्ता, अर्जुन गुप्ता, करण गुप्ता, सुभाषचंद्र गुप्ता, हरिप्रसाद गुप्ता, सुनील अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, अमित गुप्ता, नीरज शर्मा, विमल गुप्ता, अमलेश गुप्ता, प्रवेश गुप्ता, टीटू गुप्ता, मिंटू गुप्ता, गिरीश चंद्र गुप्ता, बॉबी गुप्ता, महेशचंद गुप्ता, देवेन्द्र गुप्ता, तारा देवी गुप्ता, निर्मल गुप्ता, रेनू गुप्ता, मोनिका गुप्ता, भावना गुप्ता, गीता अग्रवाल, गुड़िया गुप्ता, रजनी अग्रवाल, पंडित राजेंद्र प्रसाद, पंडित कैलाशचंद्र पोखरियाल, पंडित नीरज कोठरी, पंडित रमेश गोनियाल आदि ने भागवत पूजन किया।