रथ और रथी पर सेमिनार आयोजित

Dharm
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अमरीश
मानव शरीर रथ और आत्मा है रथी : आचार्य नभातितानंद अवधूत
हरिद्वार, 13 फरवरी। आनन्द मार्ग प्रचारक संघ हरिद्वार एवं मेरठ डायोसिस के साथ बरेली, नैनीताल एवं उत्तरकाशी का संयुक्त त्रिदिवसीय सेमिनार में सेमिनार के ट्रेनर आचार्य नभातितानंद अवधूत रथ और रथी विषय पर विचार रखते हुए कहा कि मानव का शरीर रथ है और आत्मा आरोही, बुद्धि परिचालक है। मनुष्य को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। मनुष्य को इन्द्रियों पर काम करने की आवश्यकता है। बुद्धि रूपी सारथी का मन पूर्ण रूप से रथ पर नियंत्रण रख सकता है। आचार्य नभातितानंद अवधूत ने कहा कि सांसरिक विलासिता के प्रति मनुष्य को सचेत रहना चाहिए। राष्ट्र की उन्नति में मनुष्य को अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक में देशभक्ति का संचार किया जाना चाहिए। आचार-विचार से ही मनुष्य को समाज को नयी दिशा दे सकता है। उन्हांेने कहा कि अगर सारथी कृष्ण जैसा हो तो वह अपने शिष्य को कर्मयोग के मार्ग पर अग्रसरित कर निष्काम कर्म करने की शिक्षा देता है। वर्तमान काल में देश की दिशा और दशा को प्रभावित करने वाली कोरोना महामारी को आत्मबल और संयम से ही रोका जा सकता है। यह हमारी प्राचीन परम्परा रही है कि अपने पर्यावरण और शरीर को स्वच्छ रखेंगे तो स्वस्थ बने रहेंगे। अपने मन, मस्तिष्क और इन्द्रियों पर संयम रखकर जीवन को आनन्द के मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं। उन्हांेने भक्तों से वैज्ञानिक सोच के साथ व्यवहारिक मार्ग अपनाकर आत्मोन्नति के लिए प्रयासरत रहने का आवाह्न किया।
आनन्द मार्ग स्कूल रावली मेहदूद हरिद्वार मंे आयोजित त्रिदिवसीय सेमिनार में हरिद्वार, मेरठ, उत्तरकाशी आदि स्थानों से विचारकों, बुद्धिजीवियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर सेमिनार में मुख्य रूप से हरिद्वार भुक्ती प्रधान प्रभु सिंह पाल, जयप्रकाश थपलियाल, भुक्ती प्रधान मेरठ जितेंद्र, प्रेस प्रवक्ता आचार्य संजीवनंद, विमल किशोर थपलियाल, अशोक, नवीन, देवेन्द्र थपलियाल आदि उपस्थित रहे।

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