राममंदिर आंदोलन में हरिद्वार की रही महत्वपूर्ण भूमिका-चंपतराय

Haridwar News
Spread the love

राहत अंसारी


हरिद्वार, 2 दिसम्बर। विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने अपने हरिद्वार प्रवास के अंतिम दिन प्रेस क्लब हरिद्वार द्वारा आयोजित कार्यक्रम प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष राजेंद्र नाथ गोस्वामी व महासचिव राजकुमार ने चम्पतराय का माल्यार्पण कर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया।
कार्यक्रम में पत्रकारों को अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के विषय में जानकारी देते हुए श्री चंपत राय ने कहा कि 500 वर्षों से भी ज्यादा की जद्दोजहद, संघर्ष और आंदोलन के बाद भव्य राम मंदिर निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार राममंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। विहिप के विस्तार में भी हरिद्वार की अहम भूमिका रही है। 1949 में हिंदुओं ने उक्त ढांचे के केंद्र स्थल पर रामलला की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना शुरू की थी।

विश्व हिंदू परिषद ने 1984 में विवादत ढांचे के ताले खोलने, राम जन्मभूमि को स्वतंत्र कराने और मंदिर निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। दशकों के संघर्ष के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण की अनुमति मिल पाई है। राम मंदिर ट्रस्ट के लिए भगवान राम के मंदिर का निर्माण आसान काम नहीं है। ट्रस्ट ने इंजीनियर्स की एक टीम बनाई हैं, जिसने लंबे वक्त तक मंदिर निर्माण हेतु नींव को लेकर मंथन किया

इसमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, आईआईटी गुवाहाटी समेत देश की अन्य शीर्ष संस्थाओं के वरिष्ठ इंजीनियर भी शामिल हुए। निर्माण करीब 110 एकड़ की जमीन पर हो रहा है, जबकि ट्रस्ट को कुल 67 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई थी। मंदिर की नींव हेतु मिट्टी की पहचान और स्टडी की गई तो मालूम पड़ा कि 161 फीट ऊंचे मंदिर के लिए मौजूदा स्थिति कमजोर पड़ सकती है। इसके बाद नींव को लेकर पुरानी सभ्यताओं वाली तकनीक और नई तकनीक को लेकर मंथन किया गया। नींव में कुल 44 लेयर्स डाली गई हैं, हर लेयर की मोटाई 8 इंच की है। इसके लिए वाइब्रो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है।

पूरी नींव बनने में कुल 125 लाख क्यूबिक फीट मटेरियल लग रहा है। करीब 71 लाख क्यूबिक फीट मटेरियल लग चुका है। मंदिर निर्माण का काम कंपनी लार्सन एण्ड ट्रबो तथा निगरानी का कार्य टाटा कंपनी को दिया गया है। मंदिर के निर्माण के वक्त भूकंप को भी ध्यान में रखा जा रहा है। मंदिर पर कितना बोझ आएगा इसका अध्ययन हो रहा है। मंदिर के भीतर निर्माण में स्टील,लोहे, सीमेंट का उपयोग नहीं होगा। दो दशक से अयोध्या में मंदिर स्थल के 3 किमी. दूर करीब 40 हजार क्यूबिक तराशे हुए पत्थर पड़े हुए हैं, जो मंदिर आंदोलन के बाद से विश्व हिन्दू परिषद द्वारा यहां लाए गए थे। ट्रस्ट के मुताबिक, इनमें से करीब 70 फीसदी पत्थरों का इस्तेमाल कर लिया जाएगा, कैसे इस्तेमाल होगा वो इंजीनियर्स अपने हिसाब से तय करेंगे।
इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड को उत्तराखंड सरकार द्वारा वापस लिये जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए चंपत राय ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद का यह सुविचारित मत है कि हिन्दू मंदिरों का संचालन पूर्णतया हिन्दू समाज को ही करना चाहिए। सरकारी कब्जे से मंदिरों को मुक्ति मिलनी चाहिए। मंदिरों की संपत्तियों, वहाँ आये हुए दान का हिन्दुओं के लिए, मंदिर के रखरखाव के लिए तथा हिन्दू धार्मिक प्रचार के लिए उपयोग हो।
इस दौरान चम्पतराय के साथ विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, प्रान्त उपाध्यक्ष प्रदीप मिश्रा,प्रान्त संगठन मंत्री अजय कुमार, प्रान्त प्रचार प्रमुख पंकज चैहान, प्रान्त प्रवक्ता वीरेंद्र कीर्तिपाल, बजरंग दल सयोजक अनुज वालिया, जिलाध्यक्ष नितिन गौतम, मंत्री भूपेंद्र चैहान, मयंक चैहान के अलावा प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.शिवशंकर जायसवाल, डॉ रजनीकांत शुक्ला, अमित शर्मा, अविक्षित रमन, संजय आर्य, मुदित अग्रवाल, रविन्द्र सिंह, विकास चैहान, मुकेश वर्मा आदि प्रेस क्लब के सदस्य मुख्य रुप से उपस्थित थे।
फोटो नं.6-प्रैस को संबोधित करते चंपतराय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *