श्रीमद् देवी भागवत कथा में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने दिया श्रद्धालुओं को आशीर्वचन

Haridwar News
Spread the love


कथाओं से मिलता है शास्त्रों का ज्ञान-पंडित अधीर कौशिक
हरिद्वार, 3 अक्टूबर। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में श्री परशुराम घाट पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा में श्रद्धालुओं को अष्टम दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद् देवी भागवत महापुराण का सार बताते हुए कहा कि श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में 12 स्कंध, 318 अध्याय हैं एवं 18000 श्लोक हैं।

शास्त्री ने बताया कि जब श्रृंगी ऋषि के श्राप से तक्षक सर्प के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई तो परीक्षित के पुत्र जन्मेजय बहुत दुखी हुए कि उनके पिता को अधोगति नरक यातना भोगनी पड़ेगी। तब पुराणों एवं शास्त्रों के रचयिता वेदव्यास महाराज द्वारा जन्मेजय को श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण कराने के प्रभाव से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई। शास्त्री ने बताया देवी भागवत महापुराण में देवी के कई चरित्रों का वर्णन है।

जिसमें मां भगवती चंड मुंड, महिषासुर, रक्तबीज, धूम्रलोचन, मधुकैटभ आदि राक्षसों का का संहार करने के लिए इस धरा पर अनेकों अनेकों रूप में प्रकट होती हैं। उन्होंने कहा कि भगवती गायत्री, सावित्री, महालक्ष्मी, मां सरस्वती, मां गंगा, मां काली, मां दुर्गा आदि अनेक रूप में प्रकट होकर भक्तों का कल्याण करती है।
श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए श्रीमद् देवी भागवत, श्रीमद् भागवत, राम कथा, शिव कथा के आयोजन सभी के सहयोग से निरंतर किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आत्म कल्याण के लिए शास्त्रों का ज्ञान बहुत आवश्यक है। वर्तमान समय में कथाओं के माध्यम से ही शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है। इस पावन अवसर पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत दुर्गादास ने भी श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान किए। अखाड़े के पदाधिकारियों की और से सभी संतों को फूलमाला पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *