विलुप्त होने की कगार पर पंहुची विश्व मे मानव का सबसे पुराना साथी गौरया पक्षी

Dehradun News
Spread the love

विश्व गौरेया दिवस (20 मार्च) : विलुप्त होने की कगार पर पंहुची विश्व मे मानव का सबसे पुराना साथी गौरया पक्षी, नेस्ट बॉक्स व दाना-पानी रखकर बचाने की अपील

 अंतररास्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक एवं दो दशकों से गौरया संरक्षण पर कार्यरत गुरुकुल कांगरी यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर व कुलसचिव डॉ दिनेश चन्द्र भट्ट ने प्रेस को बताया कि उनकी टीम ने उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानो यथा गौरीकुंड, जोशीमठ,  नैनीताल, अलमोड़ा, पौड़ी, गढ़वाल,कोटद्वार, हरिद्वार, रुड़की, देहरादून व आसपास के अनेक गांवों में गौरेया पक्षी का सर्वे  किया।शोध मे पाया गया कि रुरल एरिया मे लगभग एक दसक से गौरेया कि संख्या यानी पापुलेशन मे कोई गिरावट नहीं हुयी। किन्तु शहरी एरिया में गौरेया पापुलेशन में 40 से 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी।
हरिद्वार, देहरादून व रुड़की शहर मे विगत एक दशक से लगभग पांच हजार नेस्ट बॉक्स वितरित करने के कारण और नागरिको में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास स्वरुप करीब 72 प्रतिशत नेस्ट बॉक्स गौरेया द्वारा सेलेक्ट किये गए। नागरिको से आकड़े एकत्रित कराए जाने पर ज्ञात हुआ कि इस दरमियान प्रत्येक नेस्ट से ३/४ चूजों में से एक या दो चूजें सफलतापूर्वक नेस्ट बॉक्स से बहार निकल आये।शहरोँ में बिल्ली,कौवा, व मैना गौरेया के चूजों को खा जाती है. नेस्ट बॉक्स बितरित करने के कारण शहरों मे गरिया कि पापुलेशन धीरे धीरे  ५ से १० प्रतिशत तक बाद गयी है I 

देहरादून शहर के कम आवादी  वाले एरिया मे  ज्यादा आवादी वाले एरिया कि तुलना में गौरेया की पापुलेशन अधिक पायी गयी क्योकि मनुष्य की कम आवादी वाले एरिया में किचेन गार्डन  आ ओपन लैंड थी जिसमे गौरेया को अपने वच्चो को कीट पतंग खिलाने को मिल जाते है I व रात्रि विश्राम हेतु झाड़ियाँ भी. यह शोध  कार्य  स्प्रिंगर पब्लिशर्स द्वारा प्रतिष्ठित विज्ञानं शोध पत्रिका प्रोसीडिंग्स आफ इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के ८८ वें वॉल्यूम मे प्रकाशित हुआ है । टीम मेम्बेर्स मे. डॉ. विनय कुमार, डॉ. के.के. जोशी व आशीष कुमार समल्लित थे.

प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने वताया कि विश्व गौरैया दिवस का लक्ष्य इनकी घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य पक्षी की सुरक्षा के लिए संरक्षण प्रयासों को मजबूत और व्यापक बनाना है और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गौरैया के महत्व की सार्वजनिक समझ को बढ़ाना है। फ़ोटो attach है
 
 
 
 
 
 
 

Dr. Dinesh Chandra Bhatt
Professor Emeritus, Department of Zoology and Environmental Science  

Gurukula Kangri (Deemed to be University) (GKDU), 

Haridwar 249 404, Uttarakhand, India
Phone Nos.: +91-9927922335 (Mobile), Fax : 01334

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *