रिपोर्ट लिखने के लिए रिश्वत मांगने पर पूरा थाना सस्पेंड कर दिया था चौधरी चरण सिंह ने

Haridwar News
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अमरीश

हरिद्वार, 29 मई। किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चौधरी चरणसिंह की 34वीं पुण्यतिथि पर इन्द्रलोक सामुदायिक केंद्र में यज्ञ किया गया। चौधरी देवपाल राठी द्वारा संपन्न कराए गए यज्ञ में प्रभात कौशिक व जोबिन्दरपाल आर्य मुख्य यज्ञमान रहे। यज्ञ के उपरांत गोष्ठी में चौधरी चरणसिंह को स्मरण करते हुए चौधरी देवपाल सिंह राठी ने कहा कि किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह ने जीवन भर कभी किसी गलत बात का समर्थन नही किया। वीके त्रिपाठी ने कहा कि चौधरी साहब बहुत ईमानदार व अपनी बात पर अटल रहने वाले व्यक्ति थे।

जब यूपी में पटवारियों की हड़ताल हुई तो चौधरी साहब ने उन्हें समझाने की बेहद कोशिश की कि आप काम पर वापस आये। लेकिन जब पटवारियों ने बिना वेतन बढ़े काम पर लौटने को मना कर दिया तो चौधरी चरण सिंह ने उनके बस्ते जमा कराकर सभी को नौकरी से बाहर कर दिया तथा नई भर्ती कर कानून में संशोधन करते हुए पटवारी की जगह लेखपाल का पद सृजित कर उनका ट्रान्सफर निश्चित किया। विजय पाल ने बताया कि पक्के आर्य समाजी चौधरी चरण सिंह एक बार गुजरात गए हुए थे। उस समय के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल उनके साथ थे।

वो कार्यक्रम में जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें टंकारा का बोर्ड दिखा तो उन्होंने केशुभाई पटेल को टंकारा चलने को कहा और वहां गए भी। जब उन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की जन्म स्थली को देखा वो दुःखी हुए व केशुभाई पटेल से विशेष बजट के द्वारा उसे डेवलप कराया। नरेश बलियान ने कहा कि किसी थाने की लगातार शिकायत आ रही थी तो चौधरी साहब रात में अपनी भैस चोरी की रिपोर्ट लिखाने सभी को पीछे खड़ा कर अकेले पहुँच गए। उनके मैले कपड़े देख कर उनकी रिपोर्ट नही लिखी गयी। फिर दिवान ने कहा कि कुछ भेट दें तो रिपोर्ट लिखी जाएगी। चौधरी साहब ने कहा कि पहले रिपोर्ट लिखो तब पैसे दूँगा।

जब दीवान ने भैस चोरी की रिपोर्ट लिख कर उस पर अंगूठा (हस्ताक्षर )लगाने को कहा तो उन्होंने हस्ताक्षर करने को कहा व उंन्होने अपनी जेब से मोहर निकाल कर उस रिपोर्ट पर लगाई तो ये देखकर वो हैरान रह गए कि ये तो चौधरी चरणसिंह हैं। उंन्होने तुरन्त पूरा थाना सस्पेंड कर दिया।

ईमानदारी की मिसाल चौधरी चरणसिंह हमेशा जमीन से जुड़े रहे। इसीलिए किसानों मे वे देवता की तरह पूजे जाते है। इस अवसर पर चै.देवपाल सिंह राठी, रवीश राजपूत, जोबिन्दर पाल आर्य, मुख्तयार सिंह, पंकज चैहान, नरेंद्र सिंह तेवतिया, हेमन्त मलिक, प्रभात कौशिक, विजय पाल सिह, सुदेश चौधरी, कुशल वीर सिंह, मनोज कुमार, उर्मिला देवी, योगेन्द्र पाल राणा, नरेश बलियान, मनवीर सिंह सिरोही, अरविंद सैनी, हरपाल सिंह, नीरज कुमार, नरेंद्र मालिक, निरंकार सिंह, सिकन्दर सिंह, रकम सिंह, अभय गुप्ता, राहुल चैधरी, वीके त्रिपाठी सम्मलित रहे। गोष्ठी का संचालन सुदेश चैधरी ने किया।

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