भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है-स्वामी नर्मदाशंकर पुरी

Dharm
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ब्यूरो
श्रीयंत्र मंदिर मे शुरू हुई संगीतमयी श्रीमद्भावगत कथा
हरिद्वार, 10 सितम्बर। कनखल स्थित श्रीयंत्र मंदिर में शुरू हुई संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन कथा वाचक महामण्डलेश्वर स्वामी नर्मदाशंकर पुरी महाराज ने कहा कि भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है। कथा के शुभारंभ से पूर्व आयोजकों की और से गंगा तट से कथा स्थल तक कलश यात्रा निकाली गयी। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी नर्मदाशंकर पुरी महाराज ने कहा कि जन्म-जन्मांतर के जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है।

श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान करते हुए कहा कि शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है।

जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। कथा व्यास ने कहा कि कथा वही है, जिसमें ईश्वर से प्रेम हो, कथा सुनने से भक्तों में श्री कृष्ण का ज्ञान वैराग्य भक्ति स्थापित हो जाये।

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