राकेश वालिया
ऋषिकेश, 6 जनवरी। ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज की तीसरी पुण्य तिथी ऋषिकेश स्थित कबीर चैरा आश्रम में सभी तेरह अखाड़ों के सानिध्य में मनायी गयी। इस अवसर पर संत समाज ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज व स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज ने कहा कि अत्यन्त सादगी से जीवन व्यतीत करने वाले ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज ने सदैव भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर सदमार्ग पर अग्रसर किया। उनके शिष्य कबीर चैरा आश्रम के परमाध्यक्ष महंत कपिल मुनि महाराज अपने गुरूदेव के सपनों को पूरा करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज के परम शिष्य महंत कपिल मुनि महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो और उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। महंत कपिल मुनि महाराज ने श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज विद्वान संत थे। गुरूदेव से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य है।
स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास दिव्प्य संत थे। उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना ही उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी रविदेव शास्त्री व स्वामी प्रकाशानंद महाराज ने कहा कि गुरू की सेवा कभी निष्फल नहीं होती है। गुरू के आशीर्वाद से ही व्यक्ति को जीवन में उच्च मुकाम प्राप्त होता है। महंत कपिल मुनि महाराज को अपने गुरूदेव ब्रहमलीन महंत प्रदीप दास महाराज की परंपरांओं को आगे बढ़ाते देख समस्त संत समाज हर्षित है। महंत कपिल मुनि महाराज, महंत निर्मल दास, महंत धर्मदास, महंत प्रकाशानंद महाराज ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।
इस अवसर पर स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी हरिचेतनानन्द, स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री, महंत दुर्गादास, महंत निर्मल दास, महंत दिनेश दास, स्वामी शिवानन्द, महंत प्रकाशानंद, स्वामी हरिहरानंद, महंत गोविंददास, स्वामी रामानंद सरस्वती, महंत लंकेश दास, महंत रामदास, महंत जगजीत सिंह, महंत सुतिक्ष्ण मुनि सहित सभी संतों ने ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज को दिव्य महापुरूष बताया।