अमरीश
हरिद्वार, 25 मार्च। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में शास्त्री नगर में श्रीमद् देवी भागवत के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने महिषासुर मर्दिनी का चरित्र श्रवण कराते हुए बताया कि महिषासुर एक बहुत ही मायावी दानव था। वह ब्रह्मऋषि कश्यप और दनु का पोता और रम्भ नामक दैत्य द्वारा महिषी के गर्भ से उत्पन हुआ था। महिषासुर ने ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था कि कोई देव, दानव या मनुष्य उसे मार ना सके। यदि उसकी मृत्यु हो तो किसी स्त्री के हाथों हो।
वरदान प्राप्त कर महिषासुर स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया तथा सभी देवताओं को वहाँ से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुँचे। सारे देवताओं ने उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे उससे हार गये। कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए अपने अपने तेज से देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसी उपलक्ष्य में नौ दिनों तक नवरात्र उत्सव और दसवें दिन विजयादशमी मनायी जाती है।
महिषासुर का वध करने पर देवी दुर्गा का नाम महिषासुरमर्दिनी पड़ा। जो श्रद्धालु भक्त मां दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी स्वरूप की पूजा अर्चना करता है। मां हमेशा उसकी रक्षा करती है और समस्त मनोकामना को पूर्ण करती हैं। कथा में मुख्य जजमान विनय गुप्ता, प्रमिला गुप्ता, संजय सचदेवा, मीनू सचदेवा, पार्षद राजेंद्र कटारिया, सूरज शुक्ला, संतोष बब्बर, प्रतिभा शर्मा, अरुण सिंह राणा, पंडित गणेश कोठारी, पुष्पा श्रीवास्तव, नीति शर्मा, आदेश शर्मा, शांति दर्गन, वीणा धवन आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।