पुण्यतिथी पर संत समाज ने किया ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि, माता केसर देवी एवं स्वामी लक्ष्मण दास को नमन

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संत महापुरूषों के सानिध्य में ही जीवन को दिशा मिलती है-स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती
हरिद्वार, 17 नवम्बर। ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मण दास, माता रामबाई रामऋषि एवं माता केसर देवी की पुण्यतिथी पर सभी 13 अखाड़ों के संत महापुरुषों ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रवणनाथ नगर स्थित रामनिवास आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी दिनेश दास महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही जीवन को दिशा मिलती है और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।

समाज के प्रेरणास्रोत ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि, माता केसर देवी एवं स्वामी लक्ष्मण दास ने सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में अभूतपूर्व योगदान दिया। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। स्वामी अनंतानंद महाराज ने कहा कि गरीब, जरूरतमंद की सेवा और मानव कल्याण सनातन धर्म का मूलमंत्र है। जिस प्रकार स्वामी दिनेश दास ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मण दास, माता रामबाई रामऋषि एवं माता केसर देवी द्वारा शुरू की गयी सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे सभी युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म व अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करना ही संत समाज का उद्देश्य है।

संत समाज अपने इस दायित्व को निभाते हुए विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से मानव कल्याण में भी अपना योगदान कर रहा है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन माता रामबाई रामऋषि, माता केसरी देवी एवं स्वामी लक्ष्मण दास त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी दिनेश दास महाराज ने सभी संत महापुरूषों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मण दास, माता रामबाई रामऋषि एवं माता केसरी देवी त्याग व त्पस्या की प्रतिमूर्ति थी। उनके बताये मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धाजंली है और उनके द्वारा शुरू की गयी आश्रम की सेवा परंपरा का विस्तार करते हुए समाज को धर्म के प्रति जागरूक करना ही उनका उद्देश्य है।

कार्यक्रम का संचालन पदम प्रसाद सुवेदी ने किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, स्वामी अनंतानद, महंत गोविंददास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी कृष्णानंद, महंत दुर्गादास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंददास, महंत दामोदर शरण दास, स्वामी चिदविलासानंद, महंत राघवेंद्र दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरजदास, महंत रामानंद सरस्वती, महंत सूर्यमोहन देव, महंत संपूर्णानंद, स्वामी केशवानंद, महंत गंगादास उदासीन, महंत शिवम महाराज, स्वामी ज्ञानानंद, महंत विनोद महाराज, महंत श्यामप्रकाश आदि संतों ने भी ब्रह्मलीन संतों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। आश्रम के ट्रस्टियों ने सभी संत महापुरूषों का आभार जताया और आशीर्वाद लिया।

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