हिन्दू नव सम्वत्सर पर लें समाजिक परिवर्तन का संकल्प-पदम्

Haridwar News
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तनवीर


चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर आरएसएस ने निकाला पथ संचलन
हरिद्वार, 19 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम सम्वत्सर 2080 नववर्ष के उपलक्ष्य में नगर में पथ संचलन किया गया। पथ संचलन वेदा ग्रीन निर्मला छावनी से शुरू होकर ब्रह्मपुरी, गुरुद्वारा रोड, लालतरौ पुल, पोस्ट ऑफिस, अपर रोड होते हुए हर की पौड़ी से वापस बड़ा बाजार, गऊ घाट, मोती बाजार, सब्जी मंडी, राम घाट, विष्णु घाट होकर भल्ला रोड़ से पुनः पोस्ट ऑफिस से निर्मला छावनी पहुँचकर कर सम्पन्न हुआ। पथ संचलन पर भारत माता के जयघोष के साथ जगह-जगह फूलों की वर्षा की गई। इससे पूर्व संघ स्थान निर्मला छावनी में आद्य सर संघ संचालक प्रणाम किया गया। जिसके बाद मुख्य वक्ता पश्चिमी क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम का बौद्धिक हुआ।

क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम् ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही संघ के संस्थापक आद्य सर सञ्चालक डा.बलिराम हेडगेवार की जयंती मनायी जाती है। इसलिए संघ के स्वयंसेवक वर्ष में एक बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर आद्य सर सञ्चालक प्रमाण करते है। विक्रमी सम्वत्सर नव वर्ष पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति, सभ्यता व परम्पराओं का प्रारंभ दिवस है। उन्होंने कहा कि नव संवत्सर से शुभ कार्यों का प्रारम्भ होता है, प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक है। इस समय चारों ओर पीले पुष्पों की सुगंध भरी होती है, नयी फसलें भी पककर तैयार हो जाती है।

इसी दिन सूर्योदय से ब्रहमा ने जगत् की रचना प्रारम्भ की। 2079 वर्ष पहले सम्राट विक्रमादित्य ने शासन प्रारम्भ किया था। इसी दिन को श्रीराम के राज्याभिषेक दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। सिंध प्रांत के समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल का जन्मदिवस तथा विक्रमादित्य की तरह ही उनके पौत्र शालिवाहन ने हूणों को पराजित करके दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिये शालिवाहन संवत्सर का प्रारम्भ किया।

हिंदू नववर्ष की शुरूआत में ही मां दुर्गा के नवरूपों में माँ की आराधना की जाती है। इसलिए सभी हिंदुओ को पूर्व हर्षोल्लास से नव वर्ष का स्वागत करना चाहिए। क्षेत्र प्रचार प्रमुख ने कहा कि हम जिस तरह अपने जन्मदिवस के अवसर पर कुछ संकल्प लेकर अगले साल की योजना बनाते है। उसी तरह इस नव वर्ष से सामाजिक परिवर्तन के लिए संकल्प लें। उन्होंने कहा कि संघ में सामाजिक परिवर्तन के लिए सामाजिक समरसता, पर्यवारण संरक्षण व परिवार प्रबोधन विषयों को स्वयंसेवकों के व्हावहार में प्रतीत होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारे भवन, भृमण और भोजन में संघ विचार दिखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संघ में कभी जाति नही पूछी जाती, जाति के आधार पर कोई भेदभाव भी नही होता। जिस प्रकार संघ की कार्यशैली में सामाजिक समरसता दिखती है, उसी प्रकार हमारे व्हावहार में भी यह दिखाना चाहिए। पर्यावरण आज की सबसे बड़ी समस्या है, पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से त्रस्त है। पर्यावरण संरक्षण के लिये हम सब को आगे आना चाहिए। तीसरा विषय परिवार प्रबोधन का है। आज बड़ी संख्या में परिवार विखर रहे है, विखरते परिवारों को बचाये रखने के लिए भारतीय सँस्कृति को हमे अपने घरों में अपनाना पड़ेगा। तभी परिवार विखरने से बच सकेंगे।

उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक का व्हावहार दर्पण की तरह होना चाहिए जिस प्रकार दर्पण कभी झूठ नही बोलता उसी प्रकार हमे जीवन व्हावहार चरित्र को स्पष्ट रखना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता निर्मल अखाड़ा के महंत अमनदीप सिंह ने की। इस अवसर पर जिला संघ सञ्चालक कुँवर रोहिताश, नगर सञ्चालक डा.यतीन्द्र नागयन, विभाग प्रचारक चिरंजीवीं, विभाग सम्पर्क प्रमुख सीए अनिल वर्मा, जिला कार्यवाह अंकित कुमार, जिला व्यवस्था प्रमुख अनिल गुप्ता, नगर कार्यवाह गुरमीत सिंह, सह नगर कार्यवाह ड़ा.अनुराग वत्स व बलदेव रावत, नगर प्रचारक रमेश मुखर्जी, नगर बौद्धिक प्रमुख भूपेंद्र, सहडा.रतनलाल, नगर शारीरिक प्रमुख अभिषेक, नगर सम्पर्क प्रमुख अमित शर्मा, नगर व्यवस्था प्रमुख देशराज शर्मा, नगर प्रचार प्रमुख अमित कुमार शर्मा, आराध्य, मनोज पाल, संजयशर्मा, राजकुमार, अश्वनी कुमार, विकास जैन, मनीष सैनी, विशाल गोस्वामी, अर्पित अग्रवाल, सुशांत, सुमित शर्मा, उमेश मिश्रा, अमित त्यागी आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

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