राहत अंसारी/तनवीर
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में संतों ने खेली फूलों की होली
होली महोत्सव में सुंदर झांकियां बनी आकर्षण का केंद्र
हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री पंचायती के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में होली महोत्सव मनाया गया। कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए संतों ने फूलों की होली खेली। गले न मिलकर हाथ जोड़कर दूर से ही रंगों के पावन पर्व होली की शुभकामनाएं दी। महोत्सव में भगवान भोले शंकर, राधे कृष्ण भगवान की झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी रही।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में छावनी के समीप पंडाल में होली महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव एवं कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कुम्भ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने कार्यक्रम में पहुंचकर संतों के साथ गीतों पर ठुमके लगाए। इस अवसर पर श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते होली का त्योहार फूलों से मनाया गया। क्योंकि भाती भाती के रंगो से नुकसान होने की संभावना अधिक जताई जा रही है।
कोरोना काल में भी लोगों में होली को लेकर उत्साह है। सभी को होली पर्व को फूलों की होली से मनाना चाहिए। निरंजनी अखाड़ा के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कहा कि होली आपसी प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा प्रदान करती है। इसके साथ ही रंग का त्योहार होने के कारण भी होली हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है। इसलिए इस पवित्र पर्व के अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 को लेकर जारी सरकारी गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए होली मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत में त्योहार और पर्वों का अनादि काल से विशिष्ट महत्व है।
हमारी संस्कृति की यह अनूठी विशेषता है कि हमारे त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में समता, समानता, सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का सन्देश प्रवाहित करते हैं। होली देश का सबसे पुराना त्योहार है जिसे छोटे−बड़े अमीर−गरीब सभी लोग मिलजुल कर मनाते हैं। यह असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। राग−रंग का यह पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।
राग रंग और नृत्य इसके प्रमुख अंग हैं। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। इस अवसर पर श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत राम रतन गिरी, श्रीमहंत ओमकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, श्रीमहंत नरेश गिरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत शिव वन, श्रीमहंत केशव पुरी, दिगंबर सुखदेव गिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर राजगिरी, दिगंबर राधे श्यामपुरी, दिगंबर राकेश गिरी आदि उपस्थित रहे।