अमरीश
हरिद्वार 17 फरवरी। एस.एम.जे.एन.पी.जी काॅलेज में शिक्षकों व छात्र-छात्राओं ने बसंत पंचमी पर प्रयोग किये गये चाइनीज मांझे को काॅलेज मैदान से एकत्र कर नष्ट किया। काॅलेज के प्राचार्य डा. सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि चाईनीज मांझा लोगों, पशु-पक्षियों की जान पर ही नहीं अपितु देश के कारोबार पर भी भारी पड़ रहा है। डा.बत्रा ने कहा कि चाईनीज मांझे ने देशभर में चर्चित रहे बरेली के दो सौ वर्ष पुराने स्वदेशी मांझे के कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है। नतीजतन स्वदेशी मांझा कारोबार अन्तिम सांसे गिन रहा है।
उन्होंने कहा कि चाईनीज मांझा नाॅन बायो डिग्रेडेबिल होता है। यानि इसका विघटन जमीन में नहीं हो पाता है। जबकि स्वदेशी मांझा सूती धागेे का होने के कारण पानी में गिरकर गल जाता है। आत्म-निर्भर भारत के प्रोत्साहन हेतु इस कुटीर उद्योग को संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा.संजय कुमार माहेश्वरी ने बताया कि चाईनीज मांझा प्लास्टिक के धागे से तैयार किया जाता है तथा इस पर लोहे का बुरादा लगा होता है। जिससे बिजली का करंट प्रवाहित होने का खतरा भी बना रहता है।
इसलिए सभी को चाईनीज मांझे का बहिष्कार कर स्वदेशी मांझा प्रयोग करना चाहिए। इस अवसर पर डा. सरस्वती पाठक, डा.जे.सी.आर्य, डा.शिव कुमार चैहान, वैभव बत्रा, विनय थपलियाल, डा.मनमोहन गुप्ता, अंकित अग्रवाल तथा काॅलेज के छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।