प्राचीन परंपराओं के संरक्षण में तीर्थ पुरोहितों की निर्णायक भूमिका

Haridwar News
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तनवीर

तीर्थ पुरोहितों द्वारा तैयार किए जाने वाले हस्तलिखित अभिलेखों की प्राचीन परंपरा पर आधारित है फिल्म ‘बही ट्रेसिंग माई एंसेस्टर्स’ रिलीज
हरिद्वार, 24 अप्रैल। उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा व सभ्यता पर बनाई गई सात फिल्मों की सीरीज की आखिरी बहुप्रतीक्षित शार्ट फिल्म ‘बही ट्रेसिंग माई एंसेस्टर्स’ वर्चुअल भारत के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हो गई है। रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट के साथ भारतबाला द्वारा निर्देशित इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों द्वारा हस्तलिखित अभिलेखों को बनाए रखने की एक 700 साल प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डालती है। जिसने कई परिवारों को सैकड़ों साल पुराने बही के माध्यम से अपने पैतृक मूल की खोज करने में सक्षम बनाया है।
हस्तलिखित बही को बनाए रखना उन उल्लेखनीय प्रथाओं में से एक है जो तकनीकी प्रगति और डिजिटलीकरण के बावजूद हरिद्वार में बची हुई है। बही जन्म, मृत्यु और वंशावली को सावधानीपूर्वक दर्ज करती हैं, जो अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल के रूप में कार्य करती हैं। पूर्वजों के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर इन अभिलेखो को प्रामाणिकता प्रदान करते हैं।
बही पंडितों के एक संप्रदाय द्वारा बनायी और संरक्षित की जाती है। जिन्हें तीर्थ पुरोहित कहा जाता है। जो अपने जजमानों को उनके पूर्वजों की याद में अनुष्ठान करने में मार्गदर्शन और मदद करते हैं और उनके परिवार के पेड़ का मानचित्रण जारी रखते हैं।
यह उत्तराखंड सीरीज की सात फिल्मों में से आखिरी फिल्म है। वर्चुअल भारत एक ज्वलंत सिनेमाई कैनवास पर कला, संस्कृति, वास्तुकला, संगीत, कविता, लोककथाओं और परंपरा की अनदेखी, अनकही कहानियों का एक डिजिटल भंडार बनाने के लिए भारत की 5000 साल पुरानी सभ्यता की फिल्म यात्रा है।

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