श्रेष्ठ वस्तु का दान करने से होती है पुण्य फल की प्राप्ति-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 4 मई। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने दान की महिमा का वर्णन करते हुए बताया सभी शास्त्रों में वर्णन मिलता है किसी भी श्रेष्ठ वस्तु का दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। परंतु अलग-अलग समय पर किए जाने वाले दान की महिमा भी अनन्त है। शास्त्रानुसार हाथी का दान घोड़े के दान से, भूमिदान तिलों के दान से, तिलों का दान स्वर्ण दान से, स्वर्ण का दान अन्न दान से श्रेष्ठ होता है। अन्न दान से देवता, पित्र और मनुष्य प्रसन्न होते हैं। इसलिए अन्न दान सर्वश्रेष्ठ है। अन्न दान को कन्यादान के बराबर माना जाता है। जो लोग प्रेम एवं धन सहित कन्या का दान करते हैं।

किसी कन्या के विवाह में सहयोग देते हैं। उनके पुण्यों का अनुमान लगाना भी असम्भव है। ऐसे लोगों के पुण्यकर्म लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ है। पदमपुराण के अनुसार कन्या के धन से बचना चाहिए। कन्या के धन को कभी अपने कामों पर खर्च नहीं करना चाहिए। बल्कि हो सके तो कन्या को यथासम्भव अन्न, धन समय-समय पर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए। जिससे किसी दूसरे को कष्ट हो। दान के प्रभाव से जीव को संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती हैं तथा सभी पापों का क्षय हो जाता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान चेतन स्वरूप गुप्ता, योगेश कुमार गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, देव गुप्ता, दिव्यांशु गुप्ता, राकेश गुप्ता, प्रीति गुप्ता, मुदिता गुप्ता, गिरिराज गुप्ता, पद्मलता गुप्ता, मोहित गुप्ता, विमलेश गुप्ता, हेमलता रानी, रजनी गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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