दिव्य योग मंदिर राम मुलख दरबार का पतंजलि योगपीठ में हुआ विलय

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 6 अप्रैल। रामनवमी पर्व पर दिव्य योग मंदिर राम मुलख दरबार का पतंजलि योगपीठ में विलय हो गया। पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण और योगाचार्य स्वामी लाल महाराज भी मौजूद रहे। स्वामी रामदेव ने बताया कि तीस वर्ष पूर्व हमने संन्यास ग्रहण कर अपने संस्थान का नाम दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) रखा था। बाद में हमें पता चला कि योगेश्वर स्वामी राम लाल जी का संस्थान दिव्य योग मंदिर राममुलख दरबार पहले से ही है। यह अद्भुत संयोग ही है कि दोनों संस्थान आज एकाकार हो गए। योग की परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए योगाचार्य स्वामी लाल महाराज जी ने यह आहुति रामनवमी के पावन अवसर पर पतंजलि योगपीठ को अर्पित की है।
पश्चिम बंगाल में रामनवमी शोभायात्रा से पाबंदी हटाए जाने को लेकर स्वामी स्वामी रामदेव ने कहा कि इस प्रकार की पाबंदियां राजनीति से प्रेरित होकर वोट बैंक के ध्रवीकरण के लिए लगाई जाती हैं। रामनवमी, जन्माष्टमी और ईद आदि धार्मिक पर्वो पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए। भारत सनातन का देश है, राम, कृष्ण, हनुमान, शिव का देश है। इसमें सबका आदर है। कोई किसी से घृणा न करे। हिन्दुत्व किसी से घृणा नहीं करता। मुसलमान भी अपना ईमान, मजहब तो मानें किंतु उन्हें भी पता है कि राम उनके भी पूर्वज हैं।
वक्फ कानून पर एक सवाल का जवाब देते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि पूरे भारत में हिन्दु, मुसलमान, सिख, ईसाइ, जैन, बौद्ध सबके लिए समान रूप से एक संविधान, एक कानून की व्यवस्था है। वक्फ कानून बनने से इस व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यदि वक्फ कानून नहीं बनता तो पूरे देश में विभिन्न समुदाय केे लोग अलग-अलग बोर्ड बनाने की मांग करते। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल वक्फ कानून का विरोध वोटों की राजनीति के लिए कर रहे हैं। स्वामी रामदेव ने उत्तराखंड सरकार द्वारा गांव के नाम बदले जाने का भी समर्थन किया।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सभी देशवासियों को रामनवमी की शुभमानाएं दी। योगाचार्य स्वामी लाल जी महाराज ने कहा कि स्वामी योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी महाराज अवतारी पुरुष थे। जिन्होंने आजीवन योग का सरलीकरण कर प्रचार-प्रसार किया। योगधर्म को युगधर्म के अनुरूप बनाया। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव महाराज ने योग को घर-घर प्रतिष्ठित करने का जो कार्य किया है, वह न तो पहले कभी किसी ने किया है और न ही भविष्य में कोई कर पाएगा।

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