पितरों के निमित्त जैन समाज ने शांतिनाथ विधान का आयोजन

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राकेश वालिया


पूर्वजों का सम्मान करते हुए सभी को श्राद्ध एवं तर्पण अवश्य करना चाहिए-श्रीमहंत राजेंद्रदास
हरिद्वार, 21 सितंबर। श्राद्ध पक्ष के दूसरे दिन सेक्टर-2 बैरियर के निकट हजारीबाग स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में श्री शांतिनाथ विधान का आयोजन किया गया। इस दौरान जैन समाज के लोगों ने मंदिर में अभिषेक कर विश्व कल्याण की कामना की। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय श्री पंच निर्माेही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर में स्थित आत्माओं का परस्पर शाश्वत संबंध है और यही कारण है कि आत्मा परमात्मा का अंश है और आत्मा स्वरूपी भौतिक शरीर धारी मनुष्य अपने पूर्वजों की आत्माओं की संतुष्टि के लिए पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करता है।

उन्होंने कहा कि सभी को अपने पूर्वजों का सम्मान करते हुए उनका श्राद्ध एवं तर्पण अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सदैव उन्नति की प्राप्ति होती है। वरिष्ठ भाजपा नेता ओमकार जैन ने कहा कि श्राद्ध करने से पित्र गण प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं और वंशजों के जीवन में शुभ फल देते हैं। मनुष्य को अपने कल्याण के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रद्धा भाव से पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कर्म और तर्पण अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान पित्र गण प्रसन्न होकर सुख समृद्धि प्रदान करते हैं और श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अध्यात्मिक, दैविक एवं भौतिक उन्नति को प्राप्त कर सकता है।

समाजसेवी राकेश पोद्दार ने कहा कि हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञ को संपन्न करने वाले पितरों ने जैसे देहांत होने पर श्रेष्ठ ऐश्वर्या वाले स्वर्ग को प्राप्त किया। वैसे ही यज्ञ में इन त्रिचाओ का पाठ करते हुए और समस्त साधनों से यज्ञ करते हुए हमें भी उसी ऐश्वर्य वाहन स्वर्ग को प्राप्त करना होता है। श्राद्ध तर्पण हमारे पूर्वजों माता पिता और आचार्य के प्रति सम्मान का भाव है और यह पितृ यज्ञ द्वारा संपन्न होता है। सत्य और श्रद्धा से किए गए कर्म श्राद्ध और जिस कर्म से माता-पिता और आचार्य प्राप्त हो वह तर्पण है।

उन्होंने कहा कि श्राद्ध पक्ष में किए गए धार्मिक क्रियाकलापों से पित्र दोष से मुक्ति मिलती है और कारोबार में उन्नति होती है। रजनी जैन एवं अभिषेक जैन ने कहा कि संपूर्ण विश्व मे शांति बनी रहे। इसी कामना के साथ धार्मिक क्रियाकलाप किए जाते हैं। मानव हित में सभी को अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पितृपक्ष में पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व होता है। जोकि पूर्वजों के ऋणों की मुक्ति के लिए किया जाता है। इस दौरान दिनेश जैन, प्रबोध जैन, संतोष जैन, राजेंद्र जैन, विनोद जैन, सुरेश जैन, इंदु जैन, उमा जैन, सुशीला जैन, बिंदिया जैन, बबीता जैन, कुमुद जैन, अनीता जैन, शकुंतला जैन, मधु जैन, शांति जैन आदि सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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