घरेलू कार्यों के लिये महिलाओं को मिले मौद्रिक सम्मान- डा.बत्रा 

Haridwar News
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अमरीश

‘महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन’ विषय पर किया परिचर्चा का आयोजन

हरिद्वार, 3 नवम्बर। करवाचैथ की पूर्व संध्या पर एस.एम.जे.एन. काॅलेज में ‘महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। आॅफलाईन तथा आॅनलाईन दोनों प्रारूप में आयोजित की गयी परिचर्चा में विद्यालय के आस्था भट्ट, अनिल कटारियाल, रूपाली, आशा भट्ट, साक्षी अग्रवाल, शशि, संजीव कुमार, साहिबा वाधवा, सौम्या आदि छात्र-छात्राओं ने भी आॅनलाईन प्रतिभाग करते हुए विचार रखे।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए काॅलेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमयन्ते तत्र देवता’ की परम्परा रही है। स्त्री पूजनीय है, महिला को वह सम्मान अवश्य मिलना चाहिए, जिसकी वह अधिकारी है तथा आर्थिक स्वायत्तता एवं सम्मान हेतु ‘बेटी बचाओे, बेटी पढ़ाओं और बेटी को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाओ’, नारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हाउस वाईफ के स्थान पर ‘फैमिली मैनेजर’ के पदनाम से सम्बोधित किया जाना चाहिए। डा.बत्रा ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में स्त्री धन को दिवालिया घोषित होने पर भी अन्य सम्पत्तियों में अटैच नहीं किया जा सकता।

महिलाओं के सम्मान एवं स्वतंत्रता के लिए घरेलू रूप से कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए प्रभावशाली प्रयत्न किये जाने चाहिए। यह प्रयास अर्थव्यवस्था एवं पारिवारिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। डा.बत्रा ने कहा कि महिला समानता व महिला सम्मान हेतु परिवारिक सम्मान आर्थिक कोष का निर्माण होना भी आवश्यक है। परिचर्चा का संचालन कर रहे डा.संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि यह समय तथा वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की महती आवश्यकता है कि महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए। जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। मुख्य अनुशासन अधिकारी डा.सरस्वती पाठक ने कहा कि पारम्परिक व्यवस्था में परिवर्तन होने की वर्तमान में आवश्यकता है तथा महिला सम्मान एवं समानता के लिए मौद्रिक मूल्याकंन महिला हित में एक सकारात्मक प्रयास सिद्ध होगा।

अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा.नलिनी जैन ने कहा कि महिला के भावप्रद कार्य एवं सहयोग अमूल्य है। जिनका मूल्याकंन आर्थिक रूप से करना सम्भव नहीं है। रा.से.यो. संयोजिका डा.सुषमा नयाल ने कहा कि महिलाओं के घरेलू अवैतनिक कार्यों का मूल्याकंन सामाजिक आवश्यकता है। क्योंकि घरेलू महिला असमानता को समान स्थिति एवं महिला सुदृढ़ता हेतु अवैतनिक कार्यों का मूल्याकंन नितान्त आवश्यक है। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डा.जगदीश चन्द्र आर्य ने कहा कि यद्यपि श्रम विभाजन समय की आवश्यकता है, किन्तु महिलाओं का सहयोग कार्य इस प्रकार भावनात्मक हैं कि उनकी सेवाओं का आर्थिक मूल्याकंन सम्भव ही नहीं है।

राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने कहा कि लैंगिक समानता तथा आर्थिक सहायता को पृथक करके नहीं देखा जा सकता। अतः यह प्रश्न ही नहीं है कि घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए अथवा नहीं, बल्कि घरेलू महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा के लिए राज्य अथवा समाज द्वारा एक आर्थिक कोष निर्मित किया जाना चाहिए। इस दौरान डा.अमिता श्रीवास्तव, डा.पदमावती तनेजा, डा.मोना शर्मा, डा. प्रज्ञा जोशी, डा.कुसुम नेगी, डा.विनीता चैहान, दिव्यांश शर्मा, डा.सरोज शर्मा, अंकित अग्रवाल, पंकज यादव, डा.पूर्णिमा सुन्दरियाल, विनीत सक्सेना, नेहा सिद्दकी, नेहा गुप्ता, कु.मेहुल, मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

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