अमरीश
हरिद्वार, 1 मार्च। राजकमल साइंस एंड मैनेजमेंट कॉलेज बहादराबाद में गौरैया संरक्षण पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। पर्यावरण जागरूकता और मूल्य चेतना सेल, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी डा.विनीत सेठी ने घरेलू गौरैया के संरक्षण पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आज गौरेया विलुप्त होने के कगार पर है। छात्र छात्राओं को नन्ही गौरेया के संरक्षण और उसे बचाने का संकल्प लेना चाहिए और अभियान चलाकर दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गौरैया काफी तेजी से देश में विलुप्त हो रही है, ऐसे में उसका संरक्षण जरूरी है। ताकि आने वाली पीढ़ियां गौरैया की चहचहाहट सुन पाएं। राजकमल कॉलेज के प्राचार्य डा.राघवेंद्र चौहान ने बताया कि पिछले कुछ सालो से शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिंता प्रकट की जा रही है। कभी घरों में चहकने वाली गौरैया अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। इसका कारण पर्यावरण और मानव जीवन शैली में आया बदलाव है। शहरों में तो अब गौरैया दिखायी भी नहीं देती। लेकिन प्रकृति से लगाव रखने वाले कुछ लोग इसके संरक्षण के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं।
जिनका हौसलाबढ़ाने के साथ स्वयं भी गौरैया के संरक्षण में सहयोग करना जरूरी है। इस अवसर राजेश देवी सचिव राजकमल कॉलेज, महाविद्यालय के प्रबंध समिति सदस्य दुष्यंत प्रताप, नितिन चैहान, प्रोफेसर मुकेश कुमार, डा.विपिन शर्मा, कंुवरपाल सिंह, यशपाल सिंह, अजय कुमार, विनीत कुमार, आस्था यादव, नैंसी चौहान, वेदांश कौशिक, बृजेश कुमार, अविनाश आदि उपस्थित रहे।