हरिद्वार, 30 सितम्बर। बड़ी रामलीला में सेतु बन्ध अंगद रावण संवाद और लक्ष्मण शक्ति लीला का मंचन किया गया। रामलीला में दिखाया गया कि रावण के दरबार में शांतिदूत के रूप में पहुंचे अंगद ने रावण को राम से बैर त्याग कर सीता को वापस करने की सलाह दी। लेकिन रावण को सलाह समझ में नहीं आई। तब अंगद ने रावण के दरबार में अपना पैर जमा कर चुनौती देते हुए कहा कि दरबार में यदि कोई मेरा पैर हटा देगा तो श्रीराम की सेना बिना युद्ध किए खाली हाथ लौट जाएगी। पूरे दरबारी जोर लगते हैं। इसके बाद भी कोई वीर अंगद का पैर तक नहीं हिला सका। अंत में स्वयं रावण उठता है, तो अंगद अपना पैर हटाकर कहते हैं कि मेरा पैर क्यों पकड़ते हो जाकर श्री राम के चरण पकड़ो तो कल्याण होगा। अंगद ने वापस लौटकर श्रीराम को सारा वृतांत बताया और युद्ध की दुंदुभी बज उठती है। रावण की ओर से सेनापति मेघनाद और लक्ष्मण में घनघोर युद्ध होता है। अंत में मायावी मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। इससे रामदल में शोक की लहर दौड़ जाती है। लंका के वैद्यराज सुषेन ने बताया कि लक्ष्मण का उपचार अत्यंत मुश्किल है। अगली सुबह तक द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर पिलाने के बाद ही लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। ये सुनकर पवनसुत हनुमान बूटी लाने चल देते हैं।
कलाकारों के रामलीला मंचन से दर्शक भावविभोर हो गए। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेन्द्र चड्ढा, ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील भसीन, मंत्री रविकांत एवं महाराज कृष्ण सेठ, कोषाध्यक्ष रवीन्द्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष विनय सिंघल, जिला उपभोक्ता आयोग की पूर्व सदस्या अंजना चड्ढा, पवन शर्मा, ऋषभ मल्होत्रा, राहुल वशिष्ठ, दर्पण चड्ढा, विकास सेठ, सुरेंद्र अरोड़ा, कन्हैया खेवडिया, विशाल गोस्वामी, सुनील वधावन, विकास सेठ, मनोज बेदी, गोपाल छिब्बर, नीरज भसीन तथा महेश गौड़ आदि ने अतिथीयों का स्वागत किया। रामलीला मंचन को सफल बनाने में दादा गुरु भगवत शर्मा मुन्ना, निर्देशक मनोज सहगल, संगीत निर्देशक विनोद नयन तथा वेषभूषा प्रभारी वीरेंद्र गोस्वामी ने सहयोग दिया। मंच संचालन डा.संदीप कपूर ने किया।
