गुरूजनों की सेवा और कृपा ही व्यक्ति को जीवन में उच्चता प्रदान करती है -महंत गंगादास उदासीन

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राकेश वालिया


संत महापुरूषों के सानिध्य में मनाया गया महंत गंगदास उदासीन का अवतरण दिवस
हरिद्वार, 22 जनवरी। श्रवणनाथ नगर स्थित जुगत निवास आश्रम के परमाध्यक्ष महंत गंगादास उदासीन का 65वां अवतरण दिवस संत महापुरूषों के सानिध्य में भक्तों ने भक्तिभाव के साथ मनाया। इस अवसर पर हवन यज्ञ का आयोजन कर विश्व शांति की कामना की गयी। संत महापुरूषों ने पुष्प वर्षा कर महंत गंगादास उदासीन को अवतरण दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उनकी दीर्घायू की कामना की। महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों का जीवन परोपकार के लिए समर्पित होता है।

श्रद्धालु भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर सद्मार्ग पर अग्रसर करने में महंत गंगादास उदासीन का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि सभी को संत महापुरूषों के सानिध्य में धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहना चाहिए। धर्म से विमुख होने के कारण ही मानव सभ्यता को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। महंत गंगादास उदासीन महाराज ने कहा कि गुरूजनों की सेवा और कृपा ही व्यक्ति को जीवन में उच्चता प्रदान करती है। संत परंपरांओं का पालन करते हुए श्रद्धालु भक्तों का कल्याण ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में मुख्य भूमिका निभा रहे महंत गंगादास उदासीन महान संत हैं।

सभी को उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सदैव धर्मानुकल आचरण करना चाहिए। महंत दामोदर दास महाराज एवं महंत देवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रद्धालु भक्तों को आदर्श समाज बनाने की प्रेरणा देने वाले महंत गंगादास उदासीन संत समाज के आदर्श हैं। स्वावी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले महंत गंगादास उदासीन महाराज संत समाज की दिव्य विभूति हैं।

मां गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा रखने महंत गंगादास उदासीन महाराज की प्रेरणा से अनेक श्रद्धालु भक्त गंगा स्वच्छता के लिए योगदान कर रहे हैं। साध्वी माता सुशीला देवी व आचार्य आदित्य महाराज ने फूलमाला पहनाकर संत महापुरूषों का स्वागत किया। कार्यक्रम में महंत गोविंददास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत कमलदास, स्वामी संतोषानन्द, महंत निर्मल दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, स्वामी कृष्णानन्द, महंत प्रेमदास, महंत जयेंद्र मुनि सहित कई सत महापुरूष मौजूद रहे।

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