राकेश वालिया
हरिद्वार, 14 मई। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संतों ने गुरूवाणी व शबद कीर्तन का आयोजन कर देश को कोरोना महामारी समाप्त करने की अरदास की। अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि गुरूनानक देव की कृपा से अवश्य ही कोरोना देश से समाप्त होगा। महापुरूषों के तप बल से ही देश पर आने वाले संकट दूर होते हैं। संत महापुरूषों की देवभूमि अवश्य ही कोरोना की जंग को जीतेगी। लोग अपने घरों में रहकर सच्चे मन से पूजा अर्चना व प्रार्थनाएं करें। गुरू परम्पराओं के इस देश में गुरूओं की कृपा से ही अनेकों विपदाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं।
गुरूनानक देव की दिव्य शक्तियां कोरोना से देश की जनता को मुक्ति दिलाएंगी। उन्होंने कहा कि आश्रम अखाड़ों, मठ मंदिरों व पौराणिक सिद्ध पीठों में पूर्व से ही धार्मिक क्रियाकलाप होते चले आ रहे हैं। हरि की नगरी में मां गंगा अवश्य ही अपने भक्तों का उद्धार करेगी। दक्षेश्वर महादेव मंदिर हमेशा ही श्रद्धालु भक्तों की तपस्थली रहा है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से अपने आराध्य देवों की आराधना करें। महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने घरों में रहें। सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना की इस जंग में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। भगवान की कृपा से अवश्य ही इस महामारी से मुक्ति मिलेगी।
सच्चे मन से की गयी प्रार्थनाएं अवश्य ही ईश्वर द्वारा स्वीकार की जाती हैं। महंत अमनदीप ंिसह महाराज व महंत सतनाम सिंह महाराज ने वैश्विक महामारी में संत महापुरूषों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रम अखाड़े लगातार गरीब, असहाय, निर्धन, निराश्रित परिवारों को मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं। सरकार को इस जंग में मजबूती प्रदान करने के लिए लगातार संत समाज धनराशि भी दी जा रही है। अनेकों सेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। अवश्य ही गुरूकृपा से यह जंग देश की जनता जीतेगी।
गुरूनानक देव की कृपा दृष्टि से देश से कोरोना दूर भागेगा। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण में सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म कहलाता है। ईश्वर भक्ति का यही द्वार होता है। संत महापुरूषों के तप बल व प्रार्थनाओं से कोरोना की हार निश्चित रूप से होनी है। जनता को धैर्य बनाए रखना चाहिए। सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए इस जंग में सभी को अपना योगदान देना होगा। इस अवसर पर संत सुखमन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत रोहित सिंह, संत निर्मल सिंह, महंत खेमसिंह आदि मौजूद रहे।