गौरव रसिक
हरिद्वार, 9 दिसंबर। पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार ने कहा कि निजीकरण का नतीजा है कि विवाद के बाद केआरएल कंपनी ने कूड़ा उठाने का काम बंद कर दिया है। जिससे नगर में सफाई व्यवस्था चैपट हो गयी है। कोविड काल में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। दुर्गंध से नागरिक परेशान है। परंतु प्रशासन कुंभ काल में भी उदासीन बना हुआ है। मुख्य नगर अधिकारी ने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
अम्बरीष कुमार ने कहा कि चर्चा यह है कि नगर निगम और केआरएल कंपनी के बीच हुए अनुबंध में किसी विवाद की स्थिति में पंचाट द्वारा विवाद सुलझाए जाने की व्यवस्था और यह निश्चित है कि ऐसा होने पर पंचाट का फैसला नगर निगम के विरुद्ध ही आएगा। क्योंकि निजी क्षेत्र की कंपनियां ऐसे तरीके अपनाती हैं जो नगर निगम नहीं अपना सकता। इसका स्पष्ट उदाहरण उषा ब्रेको कंपनी के हक में आया पंचाट का फैसला है।
इसीलिए निजीकरण का विरोध होता है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 2010 में कराए गए इस अनुबंध का नतीजा शहर भुगत रहा है। इस निर्णय से एक और सफाई कर्मचारियों का शोषण हुआ है और दूसरी तरफ नागरिकों को भी सफाई के लिए पैसा देना पड़ता है। उन्होंने बीजेपी सरकार की निजीकरण की नीति की निंदा करते हुए कहा कि प्रशासन नींद से जागे और समस्या का समाधान करें।