तनवीर
हरिद्वार, 29 सितम्बर। पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान के अंतिम वर्ष के छात्र धीरज शर्मा ने कहा है कि वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग कर ब्रह्माण्ड के गूढ़ रहस्यों को सुलझाया जा सकता है। वेदों ने आधुनिक विज्ञान से हजारों वर्ष पूर्व ही दुनिया को चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के विषय में बता दिया था। प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए धीरज शर्मा ने कहा कि वेदों में चन्द्रमा पर जल की उपस्थिति एवं स्थिति के साथ चंद्रमा की भौगोलिक स्थिति का विस्तार से वर्णन किया गया है। वेदों में चन्द्रमा पर उपस्थित वनस्पतियों का भी उल्लेख किया गया है।
साथ ही चन्द्रमा के धु्रवों के तापमान एवं भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी भी दी गयी है। उन्होंने कहा कि वैदिक विज्ञान व वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान आधुनिक विज्ञान से अधिक विकसित एवं उन्नत है। वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग कर ब्रह्माण्ड के गूढ रहस्यों को आसानी से सुलझाया जा सकता है।
धीरज शर्मा ने मांग की कि इसरों को वैदिक अंतरक्षि विज्ञान के आधार पर विशेष अभियान चलाकर चंद्रमा के रहस्यों को सुलझाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से हरिद्वार में आर्यभट्ट की प्रतिमा स्थापित करने की मांग भी की। पत्रकारवार्ता के दौरान शुभम बंसल, गौरव रावत, राहुल पांडे, रितेश कुमार आदि छात्र भी मौजूद रहे।