तनवीर
शास्त्र हमारी समृद्ध संस्कृति की बौद्धिक विरासत हैं-स्वामी रामदेव
हरिद्वार, 1 जून। पतंजलि गुरूकुलम् देवप्रयाग में आयोजित शास्त्रीय स्पर्धा का उद्घाटन योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज ने किया। सनातन मूल्यों एवं शास्त्रों की गरिमा को स्थापित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिता में पतंजलि योगपीठ द्वारा संचालित तीनों गुरुकुल पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार (बालक परिसर), पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार (बालिका परिसर) एवं पतंजलि गुरुकुलम् मूल्या गांव, देवप्रयाग के लगभग 184 बच्चे प्रतिभाग कर रहे हैं।
प्रतियोगिता में बच्चे मुख्यतः वेद, दर्शन, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता, पंचोपदेश, हठयोगप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता आदि अनेक शास्त्रों के कण्ठपाठ में प्रतिभाग कर रहे हैं। इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि शास्त्र हमारी समृद्ध संस्कृति की बौद्धिक विरासत हैं। इनका स्मरण करने से बच्चों का अंतःकरण सीधे ऋषि परंपरा के तप और ज्ञान से अभिसिंचित हो जाता है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल के यह छात्र जब विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व करेंगे, तो भारत का और अधिक सशक्त राष्ट्र के रूप में उद्भव होगा। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि किसान के साथ समूचे व्यक्तित्व का निर्माण, शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि गुरुकुल के बच्चों की प्रतिभा को देखकर यह आश्वस्त हो जाता है कि भारत शीघ्र ही सांस्कृतिक महाशक्ति के रूप में विश्व में स्थापित होगा और ऋषियों के काल का गौरवपूर्ण अध्याय पूरी दुनियां में प्रसारित होगा । इस अवसर पर पतंजलि महिला आयोग समिति की मुख्य केंद्रीय प्रभारी एवं पतंजलि विश्वविद्यालय की डीन व कुलानुशासिका साध्वी देवप्रिया, पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार की प्राचार्या साध्वी देवमयी, पतंजलि हरिद्वार के प्राचार्य स्वामी ईशदेव व पतंजलि योगपीठ से अनेक संत मौजूद रहे। प्रतियोगिता का समापन 2 जून को होगा।