पतंजलि विवि में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 1 अगस्त I पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सोसाईटी फाॅर कन्जर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट आॅफ मेडिशिनल प्लान्ट, नई दिल्ली तथा नाबार्ड, देहरादून के सहयोग से ‘पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आध्ुनिकीकरणः लोक स्वास्थ्य एवं औद्यौगिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ सोमवार को पतंजति विश्व विद्यालय सभागार में हुआ।

आचार्य बालकृष्ण के 50वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किए जा रहे सम्मेलन का उद्घाटन दीपप्रज्ज्वलन एवं वैदिक मन्त्रोच्चारण से हुआ। पतंजलि वि.वि. के संगीत विभाग के सदस्यों द्वारा विद्वान् अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत ‘शुभ अभिनन्दन और वन्दन है- योगऋषि के आंगन में’ की प्रस्तुति के पश्चात् विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति एवं वैदिक विद्वान् प्रो.महावीर अग्रवाल द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। अपने सम्बोधन में प्रो.महावीर अग्रवाल ने कहा कि सम्मेलन सभी के ज्ञान में वृद्धि करेगा एवं अविस्मरणीय रहेगा।

सोसाईटी फाॅर कन्जर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट आॅफ मेडिशिनल प्लान्ट के अध्यक्ष डा.ए.के. भटनागर एवं सचिव प्रो.जी.बी.राव द्वारा स्वामी रामदेव को ‘महर्षि सुश्रुत सम्मान’ एवं आचार्य बालकृष्ण को ‘महर्षि वाग्भट्ट सम्मान’ से अलंकृत किया गया। सम्मेलन में शोधसार एवं मेडिशनल प्लान्ट जर्नल के विशेषांक का विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन के प्रथम सत्र में अतिथियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि वैभवशाली भारत के साथ-साथ स्वस्थ, सुखी व समृद्ध विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उच्चस्तरीय एवं साक्ष्य आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पतंजलि का अवदान है। जिसका मार्गदर्शन ऋषि परम्परा के प्रतिनिधि के रूप में आचार्य बालकृष्ण स्वयं करते हैं। उन्होंने बताया कि आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में अब तक पाँच लाख से अधिक श्लोकों की रचना एवं एक लाख से अधिक पृष्ठ वाले विश्व भेषज संहिता का निर्माण किया गया।
इस अवसर पर पतंजलि वि.वि. के कुलपति एवं अनुंसधान संस्थान के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के विभिन्न आयामों व स्वरूप को पूरा विश्व अनुभव करता है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों को सम्बोध्ति करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे कर्मों की सतत प्रशंसा होनी चाहिए तथा कमियों को ठीक करने के लिए अनवरत मंथन करना चाहिए। किसानों को पतंजलि द्वारा जैविक कृषि प्रशिक्षण देने हेतु भारत सरकार के प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक प्रशिक्षित हो चुके 40 हजार किसानों में से 80 प्रतिशत किसानों ने जैविक कृषि पर निर्भर होकर अपनी आय में वृद्धि की है।
आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं पी.आर.आई. की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.वेदप्रिया आर्या ने बताया कि सम्मेलन में आॅनलाईन एवं आॅफलाईन दोनों माध्यम से लगभग 21 देशों के हजारों प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन में पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि अनुसंधान संस्थान सहित भारत के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर, वैज्ञानिकों, शोधर्थियों एवं विद्यार्थियों ने मौखिक व पोस्टर के माध्यम से अपने अनुसंधान को प्रस्तुत किया है। उन्होंने कृषि विकास तथा ई-आत्मनिर्भरता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रथम दिवस के सम्मेलन अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य प्रो.रमेशचन्द ने कृषि के क्षेत्र में सुधार व विकास के लिए नवीन तकनीक पर चर्चा की एवं पतंजलि के योगदान की सराहना की। डा.ए.के. भटनागर ने उपस्थित प्रतिभागियों से चर्चा के क्रम में बताया कि पतंजलि ने स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा आदि के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं। वे सभी अनुसंधन आधारित रहे हैं। सम्मेलन में नाबार्ड के प्रो.भास्कर पंत, कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, प्रो.के.आर.धीमान, प्रो.ओ.पी. अग्रवाल, डा.आर.के श्रीवास्तव, डा.पी.के. जोशी एवं डा.अजीत सिंह नैन ने भी विचार रखे।
सम्मेलन में डा.साध्वी देवप्रिया, डा.के.एन.एस.यादव, डा.वी.के.कटियार, स्वामी परमार्थदेव, डा. अनुराग वाष्र्णेय एवं डा.अनुपम श्रीवास्तव सहित संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति व विद्वान मौजूद रहे।

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