सबसे पहले देवर्षि नारद ने हरिद्वार में किया था श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 9 मार्च। शुभारंभ बेंकट हॉल आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस पर श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद्भागवत महात्म्य की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि सर्वप्रथम देव ऋषि नारद द्वारा भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की स्थापना के लिए हरिद्वार गंगा तट पर भागवत कथा का आयोजन किया गया था। शास्त्री ने बताया नारद अनेक लोक में भ्रमण करते हुए पृथ्वी लोक पर आए। पृथ्वी पर विभिन्न तीर्थो का भ्रमण करते हुए उन्होंने देखा कि मनुष्य अपने कर्मों के द्वारा सुख एवं दुख को प्राप्त हो रहा है। 84 लाख योनियों में भटक रहा है। वृंदावन धाम में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य को दुखी देख, उनके दुख को दूर करने के लिए उन्होंने वेद, वेदांत एवं गीता का पाठ बार-बार किया।

परंतु भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का दुख दूर नहीं हुआ। उसी समय आकाशवाणी हुई कि यदि इनका दुख दूर करना चाहते हो तो सत्कर्म करो। नारद ने विचार किया कि वेद, वेदांत और गीता पाठ के बाद अब यह सत्कर्म क्या रह गया। नारद ने बद्रीनाथ जाकर सनत कुमारो से पूछा। सनत कुमारो ने बताया कि श्रीमद्भागवत सप्ताह यज्ञ को ही सत्कर्म कहा गया है। आप भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का दुख दूर करना चाहते हो तो हरिद्वार में गंगा तट पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करो। सनत कुमारो द्वारा प्रेरित होकर देवर्षि नारद ने हरिद्वार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा के प्रभाव से भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य का दुख दूर हो गया और भक्ति, ज्ञान, वैराग्य भक्तों के हृदय में वास करने लगे। शास्त्री ने बताया कि जो मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन और श्रवण करता है तो उसके भीतर भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य की जागृति होती है। श्रीमद्भागवत जीवित अवस्था में तो जीव का कल्याण करती है ही मृत्यु के उपरांत भी यदि मृतक आत्मा के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जाता है, तो मृतक आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत में धुंधकारी की कथा आती है।

पाप कर्मों के चलते मृत्यु के बाद धुंधकारी प्रेत योनि में चला गया। इसकी जानकारी होने पर धंुधकारी के भाई गोकर्ण ने श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कक्षा श्रवण के प्रभाव से धुंधकारी की आत्मा को मोक्ष प्राप्त हुआ। शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने और अपने पितरों के उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अवश्य करना चाहिए। कथा के मुख्य जजमान संध्या गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, वसुधा गुप्ता, तुषार सिंघल, वन्या सिंघल, युवान सिंघल, विष्णु प्रसाद सरार्फ, उपेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार गुप्ता, शशिकांत गुप्ता, अमित गुप्ता, अश्विनी गुप्ता, राजीव लोचन गुप्ता, कुणाल गौतम, वरुण सैनी, भावेश पंडित आदि ने भागवत पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद किया।

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