समस्त वेदों और पुराणों का सार है श्रीमद्भागवत कथा-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Dharm
Spread the love

अमरीश


हरिद्वार, 10 मार्च। आर्यनगर ज्वालापुर आयोजित में श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराते हुए राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि चार वेद और सत्रह पुराण लिखने के बाद भी वेदव्यास को चिंतित और दुखी देख देवऋषि नारद ने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि आगे कलयुग आ रहा है। कलयुग में मनुष्य वेदों एवं पुराणों को पढ़ने के लिए समय नहीं दे पाएगा और अपना उद्धार नहीं कर पाएगा। मनुष्य संस्कार विहीन हो जाएगा। इसीलिए उन्हें चिंता हो रही है। तब नारद ने वेदव्यास महाराज से कहा कि आप समस्त वेदों एवं पुराणों का सार श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ लिखिए।

नारद से प्रेरित होकर वेदव्यास जी महाराज ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की और सर्वप्रथम अपने पुत्र सुखदेव मुनि को इसका ज्ञान दिया। जब राजा परीक्षित ने समिक मुनि का अपमान किया तो समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप दे दिया। राजा परीक्षित अपने पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी देकर शुक्रताल में गंगा तट पर आकर बैठ गए। गंगा तट पर सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण कराया। तभी से अपना कल्याण चाहने वाले श्रद्धालु जन सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करते हैं और कथा का श्रवण कर भक्ति ज्ञान वैराग्य प्राप्त करते हैं।

भागवत के प्रभाव से सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा साधन है जो इस कलिकाल में भक्ति एवं ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक घर परिवार में श्रीमद्भागवत ग्रंथ का होना और उसका स्वाध्याय किया जाना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य जजमान संध्या गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, वसुधा गुप्ता ,तुषार सिंघल, वन्या सिंघल, युवान सिंघल, विष्णु प्रसाद सरार्फ, उपेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार गुप्ता, शशिकांत गुप्ता, अमित गुप्ता, अश्विनी गुप्ता, राजीव लोचन गुप्ता, कुणाल गौतम, वरुण सैनी, भावेश पंडित आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *