वेदों और पुराणों का सार है श्रीमद्भावगत कथा-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
Spread the love

अमरीश


हरिद्वार, 2 मई। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि चार वेद और सत्रह पुराण लिखने के बाद भी वेदव्यास को चिंतित देख कर देवऋषि नारद ने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि आगे कलयुग आ रहा है। कलयुग में मनुष्य वेदों एवं पुराणों को पढ़ने के लिए समय नहीं दे पाएगा। जिससे उसका उद्धार नहीं होगा। मनुष्य संस्कार विहीन हो जाएगा। इसीलिए उन्हें चिंता हो रही हैै। इस पर नारद ने वेदव्यास से समस्त वेदों और पुराणों का सार श्रीमद्भावगत महापुराण की रचना करने का अनुरोध किया।

नारद से प्रेरित होकर वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की और सर्वप्रथम अपने पुत्र सुखदेव मुनि को इसका ज्ञान दिया। जब राजा परीक्षित द्वरा समिक मुनि का अपमान किए जाने पर समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप दिया तो राजा परीक्षित अपने पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी सौंपकर शुक्रताल में गंगा तट पर आकर बैठ गए। वहीं पर सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण कराया। तभी से अपना कल्याण चाहने वाले श्रद्धालु सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन व श्रवण कर भक्ति ज्ञान वैराग्य को प्राप्त करते हैैं।

भागवत कथा के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा साधन है। जो इस कलिकाल में भक्ति एवं ज्ञान प्रदान करता है। इस अवसर पर मुख्य जजमान चेतन स्वरूप गुप्ता, योगेश कुमार गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, देव गुप्ता, दिव्यांशु गुप्ता, राकेश गुप्ता, प्रीति गुप्ता, मुदित गुप्ता, गिरिराज गुप्ता, पद्मलता गुप्ता, मोहित गुप्ता, विमलेश गुप्ता, हेमलता रानी, रजनी गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *