अमरीश
हरिद्वार, 15 फरवरी। श्री राधे श्याम संकीर्तन मंडली के तत्वाधान में रामनगर कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम दिवस कथा पर व्यास श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि गोवर्धन पूजन के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति का संवर्धन करने की प्रेरणा दी है। शास्त्री ने कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि बृजवासी देवराज इंद्र का पूजन करने जा रहे थे तो कृष्ण ने उनसे पूछा कि इंद्र का पूजन करने से क्या होता है। इस पर बृजवासीयों ने कहा कि इंद्र बरसात के देवता हैं। बारिश होती है तो हरी हरी घास उत्पन होती है। उस घास को गया खाती ह,ै दूध देती है और हम दूध दही माखन बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।
कृष्ण ने पूछा कि आपने देवराज इंद्र को कभी देखा है, ब्रजवासियों के मना करने पर कृष्ण ने कहा कि जिसको को देखा ही नहीं है तो उसका पूजन करने से क्या लाभ। गोवर्धन पर्वत प्रत्यक्ष देव हैं, जो साक्षात दर्शन दे रहे हैं। गोवर्धन पर्वत के ऊपर पेड़ पौधो, हरियाली और प्रकृति के कारण हम श्वास ले पा रहे हैं। जिससे हम जीवित हैं। गौमाता के लिए घास की व्यवस्था भी प्रकृति कर रही है। इसलिए सबको प्रकृति का पूजन करना चाहिए।कृष्ण के कहने पर सभी बृजवासीयों ने गोवर्धन का पूजन किया।
शास्त्री ने कहा कि वर्तमान में लोग प्रकृति के साथ छेड़खानी कर रहे हैं। स्वार्थ के लिए जंगलों को काटा जा रहा है। जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। कोरोना काल में आॅक्सीजन की कमी के चलते बहुत सारे लोगों की असयम मृत्यु हुई। यदि अपने प्राणों एवं स्वास्थ्य की रक्षा रखना है तो प्रकृति की रक्षा एवं सुरक्षा का संकल्प लेना होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए जन्म दिवस या शादी की सालगिरह पर फलदार, छायादार पौधा लगाएं और वृक्ष बनने तक उसकी देखभाल करें। कथा के दौरान सभी भक्तों ने देवी रुक्मणी एवं द्वारिकाधीश का विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया। कथा के मुख्य जजमान वंदना अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा, कमल अरोड़ा, राजकुमार अरोड़ा, नीलम अरोड़ा, पंकज अरोड़ा, शुभम अरोड़ा, कीर्ति अरोड़ा, वैभव अरोड़ा, ख्याति अरोड़ा, महेश अरोड़ा, मीनाक्षी अरोड़ा, हिमांशु अरोड़ा, संजय सेठी, छवि सेठी, शगुन सेठी, राशि सेठी, पंडित गणेश कोठारी, पंडित जगदीश प्रसाद खंडूरी आदि ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।