अमरीश
हरिद्वार, 20 मार्च। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में रामनगर कालोनी स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि संतोषी कभी दरिद्र नहीं होता। सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास शास्त्री ने कहा कि कृष्ण और सुदामा संदीपनी मुनि के गुरूकुल में विद्या अध्ययन के दौरान मित्र बने। शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों अपने अपने घर चल गए। कालांतर में कृष्ण द्वारिकापुरी के राजा द्वारिकाधीश बन गए। जबकि सुदामा बहुत ही दयनीय स्थिति में पत्नि सुशीला एवं दो बच्चों के साथ गांव में झोपड़ी में जीवन गुजार रहे थे। सुदामा संतोषी ब्राह्मण थे। इसलिए भगवान से भी कभी कुछ नहीं मांगते थे। हमेशा भगवान की भक्ति करते और श्रीकृष्ण की मित्रता को याद करते थे। एक बार पत्नी के कहने पर सुदामा एक पोटली में दस मुट्ठी चावल लेकर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिकापुरी पहुंचे।
श्री कृष्ण ने सुदामा का बहुत आदर सत्कार किया। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा मुझसे कभी कुछ नहीं मांगेंगे। इसलिए जब श्रीकृष्ण ने सुदामा द्वारा लाए गए चावलों में से एक मुट्ठी चावल अपने मुख में डाला और ऊपर के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए और दूसरी मुट्ठी में नीचे के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए। सुदामा जब वापस अपने गांव पहुंचे तो झोंपड़ी की जगह सुंदर महलों को देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। शास्त्री ने बताया कि भगवान अपने भक्तों को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते है।ं भगवान की भक्ति करने वाले भक्त पास किसी भी चीज की कमी नहीं रहती। भगवान अपने भक्तों को सब कुछ दे देते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन में संतोष धारण कर निष्काम भाव के साथ भक्ति करनी चाहिए।
मुख्य यजमान मनोज भारद्वाज, दीप्ति भारद्वाज, पार्षद रेणु अरोड़ा, समाजसेवी चिराग अरोड़ा, नीरू सचदेवा, नीतू पाहवा, मनीष शर्मा, विक्रम भुल्लर, अनुराधा वर्मा, अल्पना शर्मा, सीमा पाराशर, राजीव पाराशर, अनुज शर्मा, जूही शर्मा, शिक्षा राणा, डोली चैहान, मेहताब लाल दत्ता, अनुज शर्मा, धीरज शर्मा, आशीष शर्मा, पंडित गणेश कोठारी, पंडित मोहन जोशी आदि ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।