श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से होती है भक्ति एवं ज्ञान की प्राप्ति-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 9 अगस्त। केसरी मरहम हासाराम एंड संस द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ गौरी गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, सर्वतोभद्र मंडल 33 कोटि देवी देवताओं का पूजन, श्री राधा कृष्ण पूजन एवं श्रीमद्भागवत का पूजन कर किया गया। श्रद्धालुओं को प्रथम दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से जीवन में भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य के साथ-साथ भगवान की प्राप्ति होती है।

भागवत सभी मनोकामनओं को पूर्ण करती है। कथा के प्रभाव से पित्रों को भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। शास्त्री ने बताया कि जब राजा परीक्षित को समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि द्वारा श्राप लगा तो राजा परीक्षित अन्न जल का त्याग कर शुक्रताल में गंगा तट पर पहुंचे। सुखदेव मुनि ने वहां आकर राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया। श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से राजा परीक्षित को जीते जी भगवान की प्राप्ति हो गई। भागवत महात्म में वर्णन मिलता है कि आत्म देव के पुत्र धुंधकारी जीवन पर्यंत पाप कर्म करता रहा और मरने के बाद प्रेत योनि में पहुंच गया। गोकर्ण ने धुंधकारी के मोक्ष के लिए श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया।

जिससे धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हो गया। शास्त्री ने बताया कि सर्वप्रथम देव ऋषि नारद ने हरिद्वार में गंगा तट पर भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया। यहां पर सनक, सनंदन, सनातन, सनत कुमार चारों ऋषियों ने श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण नित्य निरंतर करते रहना चाहिए। इसी से जीव का कल्याण होता है। कथा में मुख्य जजमान किरण चंदनानी, राधा कृष्ण चंदनानी, ग्रीष्मा चंदनानी, पंडित गणेश कोठारी, पंडित जगदीश प्रसाद कंदूरी, पंडित विष्णु शर्मा, यशोदा प्रसाद आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

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