भगवान की आत्मा है गोपी गीत-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
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अमरीश


हरिद्वार, 5 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में मोहल्ला मेहतान पीठ बाजार ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गोपीकाओं एवं भगवान श्रीकृष्ण के मिलन की लीला महारास की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग एवं कलयुग प्रत्येक युग में भगवान के भक्त भगवान को पाने के लिए भगवान का भजन पूजन किया करते हैं।

भगवान सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए गोलोक धाम से वृंदावन धाम को इस पृथ्वी पर भेज कर स्वयं कृष्ण बनकर आते हैं और भक्त गोपी बनकर के वृंदावन धाम में आ जाते हैं। वेदों पुराणों के जितने भी श्लोक हैं। सभी गोपी बनकर वृंदावन में पहुंच जाते हैं और भगवान ने सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए शरद कालीन पूर्णिमा की रात्रि का निर्माण किया। इस रात्रि को दिव्य बनाने के लिए योग माया ने सुंदर-सुंदर पुष्पों की सुगंधी से वृंदावन को सुगंधित कर दिया। उस दिव्य रात्रि में भगवान ने सुंदर वंशिका का वादन किया। जिस भी गोपी के कान में भगवान की बंसी की धुन सुनाई दी।

वह श्रीकृष्ण से मिलने के लिए वृंदावन पहुंच गई। श्रीकृष्ण की बंसी की धुन पर नृत्य करने लगी। देखते ही देखते श्रीकृष्ण अदृश्य हो गए। गोपिकाएं पूरे वृंदावन में उन्हें ढूंढने लगी। परंतु उनका दर्शन नहीं हो पाया तब गोपीकाओं ने मिलकर यमुना के तट पर सुंदर गोपी गीत गाया। गोपी गीत को सुनकर भगवान प्रसन्न हुए और गोपीकाओं को दर्शन दिए।
शास्त्री ने बताया श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का श्री विग्रह है और रास पंचाध्याई भगवान के प्राण हैं तथा गोपी गीत भगवान की आत्मा है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य गोपी गीत का पाठ करता है।

भगवान श्रीकृष्ण उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर लीलाओं का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण एवं देवी रुक्मणी के विवाह महोत्सव की कथा का भी श्रवण कराया। भक्तों ने मिलकर धूमधाम के साथ सुंदर झांकियों के साथ विवाह महोत्सव संपन्न किया। इस अवसर पर मुख्य यजमान सुमन अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, गौरव अग्रवाल सहित समस्त अग्रवाल परिवार ने भागवत पूजन कर देवी रुक्मणी का कन्यादान किया।

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