ब्रजमंडल की चिकसोली वाली गोपी के यहां से शुरू की की थी कन्हैया ने माखने चोरी लीला-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
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अमरीश


हरिद्वार, 30 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में वसंत विहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंांचवे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओ का श्रवण कराते हुए बताया कि कन्हैया की माखन चोरी लीला का आरंभ ब्रजमंडल में रह रही चिकसोली वाली गोपी के यहां से होता है। कन्हैया ने अपनी एक टोली तैयार की। इस टोली में सुबल, मधुमंगल, सुमंगल, सुदामा, तोसन, आदि कन्हैया के बाल सखा शमिल हैं। इस मंडली के अध्यक्ष स्वयं कन्हैया थे।

एक बार की बात है कान्हा अपनी टोली के साथ तैयार हुए और योजना बनाई “चिकसोली वाली” गोपी के घर माखन चोरी करने की। कन्हैया और उनकी टोली गोपी के घर पहुंची। कन्हैया ने गोपी के घर पहुंच कर अपने साथियों को छिपा दिया और स्वयं दरवाजे पर पहुंच कर जोर जोर से द्वार खटखटाने लगे। जब गोपी ने द्वार खोला तो कान्हा को खड़े देखकर पूछा कान्हा सवेरे-सवेरे यहां कैसे। कान्हा बोले मैया ने भेजा है कि चिकसोली वाली गोपी के घर जाओ। हमारे घर में कोई संत महात्मा आए हैं और अभी घर में ताजा माखन नहीं निकाला है। मैया ने कहा है कि आप भोर में उठकर माखन निकाल लेती हो तो एक मटकी माखन दे दो, बदले में दो मटकी माखन लौटा दूंगी।

गोपी बोली कान्हा मैया से कह देना कि लौटाने की जरुरत नहीं है। संतो की सेवा मेरी तरफ से हो जाएगी। गोपी झट से अंदर गयी और माखन की मटकी के साथ कान्हा को मिश्री भी दी। कान्हा की प्रसन्नता की सीमा नहीं थी। वह माखन लेकर बाहर आए और जैसे ही गोपी ने द्वार बंद किए कान्हा ने अपने सभी दोस्तों को बुलाया और कहा जिसके यहां चोरी की है। उसके दरवाजे पर बैठकर खाने में एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है और फिर यह चोरी नहीं कहलाती। इतना कहते ही सब चिकसोली वाली गोपी के दरवाजे के बाहर बैठ गए। सभी सखा माखन और मिश्री खाने लगे।

माखन मिश्री के खाने की आवाज जब गोपी के कानों में पड़ी तब उन्हें लगा कहीं घर में बंदर तो नहीं आ गए। गोपी ने जैसे ही दरवाजा खोला उन्हें कान्हा अपनी मित्र मंडली के साथ माखन खाते दिखे। उन्हें देखते ही जैसे ही गोपी उन्हें डंडे से मारने के लिए दौड़ी। कान्हा बोले बहुत हुआ माखन खाना अब जल्दी से भागो। सभी अपने-अपने घर को। कान्हा के इतना कहते ही कन्हैया की टोली सरपट भागी और चिकसोली वाली गोपी उन सभी को देखती रह गई। शास्त्री ने बताया इसी प्रकार कन्हैया ने प्रत्येक गोपी के घर घर जाकर माखन चोरी लीला की। इस लीला पीछे कन्हैया का एक ही उद्देश्य था। गोपीकाएं दूध दही माखन मथुरा बेचकर आती थी। जिससे मथुरा में रह रहे कंस इत्यादि राक्षस बलवान हो रहे थे।

माखन मथुरा जाने से रोकने के लिए ही कन्हैया ने माखन चोरी लीला की। कन्हैया की माखन चोरी लीला के पीछे यही उद्देश्य था कि राक्षसों का संघार हो सके। कथा के दौरान सभी भक्तों ने गोवर्धन पूजन करते हुए 56 भोग गोवर्धन देव को अर्पण किया। इस अवसर पर मुख्य जजमान शांति दर्गन, तिलकराज दर्गन, स्वेता दर्गन, सुमित दर्गन, वीना धवन, अंसुल धवन, विजेंद्र गोयल, मंजू गोयल, प्रमोद पंाधी, अंजु पांधी, रंजना सचदेवा, रघुवीर कौर, संजीव मेहता, राजीव मेहता, प्रीती मेहता, भावना मेहता आदि ने भागवत पूजन सम्पन किया।

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