श्रीमद्भागवत के प्रभाव से पूरी होती हैं मनोकामनाएं-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 4 मई। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में दुर्गा मंदिर श्याम नगर कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया जब वेदव्यास महाराज चार वेद, सत्रह पुराण लिखने के बाद भी चिंतित एवं दुखी थे। नारद ने वेदव्यास को दुखी देख कर दुख का कारण पूछा तो वेदव्यास ने कहा कि आगे कलयुग आ रहा है। कलयुग में मनुष्य इन वेदों एवं पुराणों को पढ़ने के लिए समय नहीं दे पाएगा और अपना उद्धार नहीं कर पाएगा। मनुष्य संस्कार विहीन हो जाएगा। इसीलिए उन्हें चिंता हो रही है।

तब नारद ने वेदव्यास से समस्त वेदों एवं पुराणों का सार श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ लिखने का अनुरोध किया। नारद से प्रेरित होकर वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की और सर्वप्रथम अपने पुत्र सुखदेव मुनि को श्रीमद्भागवत महापुराण का ज्ञान दिया। जब राजा परीक्षित ने समिक मुनि का अपमान किया तो समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप दे दिया। राजा परीक्षित अपने पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी सौंपकर शुक्रताल में गंगा के तट पर आकर के बैठ गए।

वहीं पर सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया। तभी से अपना कल्याण चाहने वाले भक्त श्रद्धालु सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन व श्रवण कर भक्ति ज्ञान वैराग्य को प्राप्त कर लेते हैं और भागवत के प्रभाव से सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्री जी बताया कि श्रीमद्भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा साधन है जो इस कलिकाल में भक्ति एवं ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक घर परिवार में श्रीमद्भागवत ग्रंथ का होना और उसका स्वाध्याय पाठ करना अनिवार्य है।

इस अवसर पर ओम प्रकाश पाहवा, दिनेश मल्होत्रा, दीपक सेठ, नीलम सेठ, मनस्वनी सेठ, माधव सेठ, अभिषेक मिश्रा, कमल खत्री, रितिका खत्री, हर्षा खत्री, ममता खत्री, पंकज अरोड़ा, श्रीमती फुलेश शर्मा, प्रज्ञा शर्मा, शांति दर्गन, विष्णु गौड, ममता शर्मा, सुनीता पाहवा, मधु मल्होत्रा, कोमल रावत, गुंजन जयसिंह, ज्योति शर्मा, वंदना जयसिंह आदि ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।

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