परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है-बीके शिवानी

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 2 मई। आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक वक्ता राजयोगिनी बीके शिवानी ने कहा कि आज हम साधनों और परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं। इस गुलामी से मुक्ति पाकर ही हम स्वराज यानी आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।
प्रेम नगर आश्रम सभागार में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीके शिवानी ने उक्त विचार व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र हरिद्वार द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ बीके शिवानी ने संतों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। हरिद्वार सेवा केंद्र की प्रभारी मीना दीदी ने बीके शिवानी को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक मदन कौशिक, कार्यक्रम संयोजक ज्ञानेश अग्रवाल, जगदीश लाल पाहवा, ब्रह्म कुमार सुशील भाई, समाजसेवी विशाल गर्ग, समाजसेविका मनु शिवपुरी ने अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर बीके शिवानी का अभिनंदन किया।
श्रोताओं को जीवन यापन के कई सूत्र देते हुए बीके शिवानी ने कहा कि त्रेतायुग में भगवान प्रभु राम और और रावण दोनों हुए हैं। रामराज्य का मतलब सत्य, शांति, सुखमय और आध्यात्मिक जीवन जीना है। जबकि रावण राज्य के मायने विकारों से युक्त जीवन जीना है। रावण के 10 सिर थे। यानी 10 विकार काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, मोह, निंदा, आलस्य आदि । हमें इन विकारों को जीवन से समाप्त कर रामराज्य की स्थापना करनी है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्री राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर राम राज्य की स्थापना करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने के लिए हमें किसी का इंतजार नहीं बल्कि सुख शांति स्नेह की स्थापना करने के प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि इस समय घोर कलयुग चल रहा है और कलयुग के बाद सतयुग आता है। हमें रामराज्य यानी सतयुग डर गुस्सा नाराजगी दिखाकर नहीं बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। इस समय राम राज्य को लाने के लिए पूरे देश में लहर चल रही है। राम राज्य के बिना स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं। साधनों के ऊपर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की ओर जा सकते हैं। यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।
आध्यात्मिक गुरु शिवानी ने परमात्मा और आत्मा के गूढ रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि हमे अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए हर विपरीत स्थिति में भी शांत और स्थिर मन और चित को बनाए रखें। हमें कोई भी कष्ट दे या बद्दुआ दे। परंतु हम उसे बददुआ देने की बजाय उसे दुआ दें और दुआ रूपी मरहम से बददुआ के घांव को सहलाएं और भरें। क्योंकि हमारे संस्कार किसी को दुख देने वाले नहीं हैं। कहा कि परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है। इसके लिए हमें जीवन में शुद्ध संस्कारों का निर्वहन करना होगा ।

हमें जीवन में अन्न-जल ग्रहण करते हुए उसकी शुद्धता का ध्यान रखना होगा। कहते हैं जैसा अन्न वैसा मन और जैसा पानी वैसी वाणी। मनुष्य के जो कर्म होते हैं, वही उसके साथ अगले जन्म के लिए जाते हैं। हमारे इस जन्म के कर्म हमारे अगले जन्म का निर्धारण करते हैं। हमारे इस जन्म के कर्मों का लेखा-जोखा हमारे अगले जन्म को निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि कोई आत्मा अपने इस शरीर को छोड़कर नए शरीर में यानी नए परिवार में जाना चाहती है तो हम उस आत्मा को नए शरीर में जाने के लिए रोके नहीं। बल्कि उसे खुशी-खुशी विदा करें और वह आत्मा खुशी सेे पुराने शरीर से नए शरीर में प्रवेश करती है तो वह हमें आशीष देती है। और हमारे परिवार में सदैव खुशी बनाए रखती है।

यही राजयोग है। इस अवसर पर महंत गुरमीत सिंह, स्वामी रविदेव शास्त्री, उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डा.संतोष चैहान, ऋषिकेश एम्स की निदेशक मीनू सिंह, बीएचईएल हरिद्वार के पूर्व कार्यकारी निर्देशक संजय गुलाटी, सीआईएसएफ के कमांडेंट एसडी आर्य, समाजसेवी सुधीर कुमार गुप्ता, गुरुद्वारा गुरु अमर दास कनखल की संचालिका विंनिन्दर कौर सोढ़ी, ग्रीन मैन विजयपाल बघेल, प्रमोदचंद्र शर्मा, मीडिया प्रभारी डा.राधिका नागरथ, निवेदिता, मार्शल आर्ट वुशु की नेशनल कोच आरती सैनी आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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