अमरीश
हरिद्वार 28 सितंबर । बड़ी राम लीला के मंच रामराज्य घोषणा तथा राम वन गमन की लीला का मंचन किया गया। रामलीला में दिखाया गया कि यदि राम राजा बन जाते तो उनके अवतार का हेतु समाप्त हो जाता। परिणाम स्वरूप होना था राज तिलक हो गया बनवास। यही विधि का विधान है। जिससे राष्ट्र और समाज की व्यवस्थाओं का संचालन होता है।
स्वार्थ व्यक्ति और समाज की प्रगति में बहुत बड़ा बाधक होता है और केकई में जब स्वार्थ की भावना जागृत हो गई तो उसने सामाजिक मान्यताएं और पारिवारिक ताना-बाना सब कुछ नष्ट कर दिया। रामलीला अपने रंगमंच से बार-बार दर्शाती है कि वरदान व्यक्ति और उसके परिवार को बर्बाद कर देते हैं। रावण भी वरदान पाकर ही अहंकारी बना था और केकई ने भी राजा दशरथ से दो वरदान मांग कर ही रघुकुल की मर्यादा तोड़ दी। हर बाप को अपने बेटों से प्यार होता है। लेकिन राजा दशरथ को राम और लक्षमण से असीमित प्रेम था। केकई को लाख समझाया लेकिन वह मानी नहीं। फलस्वरूप राम, लक्ष्मण और सीता को राजसी वस्त्रों का परित्याग कर 14 वर्ष के लिए वन को जाना पड़ा।
श्रीरामलीला कमेटी अपने दृश्यों में मौलिकता और भव्यता के भाव भरने के लिए जिन पदाधिकारियों एवं कलाकारों पर गर्व करती है। उनमें प्रमुख है कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील भसीन, मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना, संपत्ति कमेटी के मंत्री रविकांत अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, मंच संचालक विनय सिंघल, प्रेस प्रवक्ता डा.संदीप कपूर, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी, कन्हैया खेबड़िया, ऋषभ मल्होत्रा, विशाल गोस्वामी, राहुल वशिष्ट, पवन शर्मा, रमन शर्मा, रमेश खन्ना, मनोज बेदी तथा अनिल सखूजा।