भारतीय संस्कृति में हमेशा मिला है विद्वता को सम्मान

Haridwar News
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अमरीश


हरिद्वार, 23 मार्च। शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.आनंद भारद्वाज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विद्वता को हमेशा सम्मान मिला है। आदि शंकराचार्य ने उच्च नीच के भेदभाव को मिटाने का काम किया है। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की भारतीय भाषा समिति के सहयोग से हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज धनौरी में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के दर्शन में भारतीय एकात्मता एवं भाषाएं विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर व्याख्यान को संबोधित करते हुए डा.आनंद भारद्वाज ने कहा कि जगद्गुरु आदि शंकराचार्य भारतीय संस्कृति और परंपरा के संवाहक रहे हैं।

उन्होंने सनातन धर्म की ध्वजा को हमेशा ऊंचा रखा है। श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय टिहरी के कुलसचिव केआर भट्ट ने कहा कि जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के कालजयी योगदान से सभी छात्र-छात्राओं को रूबरू होना चाहिए। बाल कल्याण समिति हरिद्वार की अध्यक्ष अंजना सैनी ने कहा कि भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में श्रेष्ठ है। इसका पूरा श्रेय आदि शंकराचार्य जैसे महापुरुषों को जाता है। योगाचार्य डा.अंकित सैनी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जगतगुरु शंकराचार्य के दर्शन के बारे में लोगों को रूबरू कराने के लिए व्याख्यान माला के तौर पर सराहनीय पहल की गई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष सुमन देवी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों में महिला सम्मान सबसे ऊपर रहा है। इसलिए भारत में महिलाओं को पूजनीय माना गया है।

प्राचार्य डा.आदित्य गौतम ने कहा कि ज्ञान परंपरा में आदि शंकराचार्य का सर्वोच्च स्थान है। संचालन कर रहे कार्यक्रम समन्वयक डा.योगेश कुमार ने रूपरेखा प्रस्तुत की और कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों को भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री का वीडियो रिकॉर्ड व्याख्यान सुनाया गया। तत्पश्चात जगतगुरु श्री भारतीय तीर्थ महास्वामी का अनुग्रह संदेश भी सभी को सुनाया गया। इससे पूर्प महाविद्यालय की प्राध्यापिका डा.ज्योति जोशी, डा.ऐश्वर्य सिंह, डा.निशा चैहान, डा.अंजु शर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।

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