सेमिनार में किया आध्यात्मिक विषयों पर मंथन

Haridwar News
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तनवीर
आध्यात्मिक जीवन सदैव ही मानवता के हित में होता है-आचार्य नभातीतानंद अवधूत
हरिद्वार, 12 फरवरी। रावली महदूद में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में विभिन्न आध्यत्मिक विषयों को लेकर गहनता से मंथन किया गया। मनुष्य विकास, मानवता के साथ सभ्यता का विकास ठीक तरीके से हो सके। आनंद मार्ग प्रचारक संघ हरिद्वार आनंद मार्ग द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए आनंद मार्ग के केंद्रीय वरिष्ठ प्रशिक्षक आचार्य नभातीतानंद अवधूत ने ‌‌कहा कि इस महामारी के समय लोगों को सही जीवन जीने का मार्ग सीखना होगा। आध्यात्मिक जीवन सदैव ही मानवता के हित में होता है।

सभ्यता का विकास भी मानव पर ही निर्भर है। समाज का गति तत्व” विषय पर बोलते हुए कहा कि सामाजिक अग्रगति का समन्वय वे तीन तत्व हैं थेसिस (श्लेषण) एंटीथेसिस (प्रति संश्लेषण) एवं सिंथेसिस (संश्लेषण) या श्लेषण के काल में प्रभावी वर्ग का शोषण बढ़ जाता है और सामाजिक शक्ति संघर्षशील हो जाती है। एंटीथेसिश या प्रतिसंश्लेषण काल में शोषित वर्ग की प्रतिक्रिया देखने को मिलती है तथा सिंथेसिस या संश्लेषण काल थेसिस और एंटीथेसिस के संघर्ष का परिणाम होता है। जिसमें अधिकतम समाज कल्याण संसाधित होता है। क्योंकि इस काल में शासक समूह एवं समूह मनोधारा में सुंदर समन्वय की स्थिति देखने को मिलती है।

आचार्य नभातीतानंद अवधूत ने कहा कि सामाजिक गति संकोच विकास ही होता है। अर्थात संकोचात्मक से विनाशात्मक गति की तरफ बढ़ती है, फिर विकासात्मक गति की स्थिति आती है और फिर वहां से संकोचात्मक गति प्रारंभ हो जाती है। जिसकी परिणति संकोचात्मक गति में होती है। यही है समाज गति का नियम जो संकोचविकासी है। एक समय समाज जब अगाती गतिशील प्रयाय में बढ़ता है तो वह अवस्था आशाबाद का होता है। फिर एक स्थितिशील पर्याय में चला जाता है और तब वहां से निराशा बाद के घर में गिरना शुरू हो जाता है तथा पुनः दूसरे स्थितिशील पर्याय में चला जाता है। सामूहिक जीवन में मनुष्य जब एक स्थिति के पर्याय में आता है।

उसी समय उसको तैयार होना पड़ता है। बाद के गतिशील पर्याय के लिए यही है समाज गति का नियम जो संकोच विकासी है। इस अवसर पर आचार्य संजीवानंद अवधूत, आचार्य गणाधीश ब्रह्मचारी आचार्य अमृतेशानन्द अवधूत, आचार्य राघवानंद अवधूत एवं आदित्य देवानंद ने कौशिकी,तांडव, आसन एवं मुद्रा का प्रशिक्षण दिया। महिलाओं को आनंद आराधनाचार्या दीदी एवं डीसल दीदी, बरेली दीदी ने प्रशिक्षण दिया। 13 फरवरी 2021 को रथ रथी पर व्याख्यान होगा। इस कार्यक्रम में जयप्रकाश समस्त आनंद परिवार देहरादून भुक्ति के साथ मेरठ, बरेली, नैनीताल एवं उत्तरकाशी आदि से आए भक्तजन मौजूद रहे।

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