तनवीर
फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता रहेगा— तन्मय वशिष्ठ
हरिद्वार, 24 अगस्त। रक्षाबंधन मनाने की तिथि और समय को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर की पौड़ी की प्रबंधकारिणी संस्था श्री गंगा सभा ने बृहष्पतिवार को ज्योतिषाचार्यों की गोष्ठी बुलाई और कई ग्रंथो के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा। 30 अगस्त की रात 9 बजकर 4 मिनट से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। गोष्ठी में तमाम प्रख्यात ज्योतिषाचार्यों के साथ ही श्री गंगा सभा की विद्वत परिषद के तीर्थ पुरोहित भी मौजूद रहे।
सभी ज्योतिषाचार्यो और पुरोहितों ने निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु और श्री भविष्य महापुराण आदि धर्मग्रंथों का बारीकी से अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाए। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि तार्किक रूप से शास्त्रार्थ और धर्म ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद सहमति बनी है कि 30 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म होगा और रात्रि 9 बजकर 4 मिनट पर भद्रा की समाप्ति के बाद रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाए। जिस प्रकार काशी विद्वत परिषद का महत्व है।
उसी प्रकार हरकी पैड़ी से जाने वाला संदेश भी पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण होता है। श्री गंगा सभा ने विद्वानों के माध्यम से रक्षा बंधन को लेकर भ्रम को दूर करने का प्रयास किया है। आगे भी त्यौहारों को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता रहेगा। ज्योतिषाचार्य डा.शैलेश तिवारी ने बताया कि 30 अगस्त को 10 बजकर 58 मिनट तक चतुदर्शी है। इसके बाद भद्रा शुरू हो रही है। चूंकि उपाकर्म में भद्रा का निषेध नही है। इसलिए धर्म गं्रथों के अध्ययन और व्यापक विचार विमर्श के उपरांत निष्कर्ष निकाला गया है कि 30 अगस्त को ही उपाकर्म किया जाएगा और भद्रा की समाप्ति के पश्चात रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा।