द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना पूरे भारत के लिए गौरव की बात-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 21 जुलाई। द्रौपदी मुर्मू के भारत का नया राष्ट्रपति बनने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने उन्हें शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। प्रैस को जारी बयान में श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाकर उनको सम्मान दिया था। उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पार्टी ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनकर ना केवल एक महिला को सम्मान दिया। बल्कि पूरे आदिवासी समाज को गौरवान्वित किया है। समस्त संत समाज उन्हें आशीर्वाद प्रदान करता है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ा है और देश तरक्की की ओर अग्रसर हो रहा है।

एक महिला आदिवासी के रूप में द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना पूरे भारत के लिए गौरव की बात है और यह दर्शाता है कि मन में कर्मठता हो और देश के प्रति देश भक्ति और कुछ करने का जज्बा हो तो राजनीति में भी सर्वोच्च मुकाम को हासिल किया जा सकता है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना भारत की राजनीति मे नए आयाम स्थापित करता है और यह दर्शाता है कि राजनीति में पार्टियों की नीति भले ही अलग-अलग क्यों ना हो। लेकिन देश के प्रति जन भावना और कर्तव्य परायणता का हमेशा सम्मान होता है।

संत समाज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई देने वालों में स्वामी ऋषिश्वरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, बाबा हठयोगी, स्वामी हरिहरानंद, महंत प्रह्लाददास, महंत रघुवीरदास, महंत बिहारी शरण, महंत गोविंद दास, महंत दामोदर दास, महंत दुर्गादास, महंत सूरज दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत निर्मल दास, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, महंत अरुण दास, स्वामी ऋषि रामकृष्ण शामिल रहे।

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