संतों की छवि धूमिल करने का प्रयास करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

Haridwar News
Spread the love

राकेश वालिया

सनातन धर्म के मान बिन्दु हैं अखाड़े, मठ, मंदिर और संत समाज

हरिद्वार, 22 नवम्बर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा है कि अखाड़े, मठ, मंदिर एवं संत समाज सनातन धर्म के मानबिन्दु हैं। अखाड़ों व संतों की छवि खराब करने के प्रयासों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसके लिए अखाड़ों और संतों को निशाना बनाया जा रहा है।

अखाड़ा परिषद ऐसी कोशिशों को कामयाब नहीं होने देगी। सोशल मीडिया पर अनर्गल व भ्रामक प्रचार कर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों मुखिया महंत रघुमुनि, कोठारी महंत दामोदर दास, महंत दर्शन दास की छवि खराब करने के प्रयासों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म के प्रचार प्रसार के साथ अखाड़े और संत समाज विभिन्न सेवा कार्यो के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद करने के साथ आपात स्थिति में हमेशा सरकार का सहयोग भी करते हैं। करोड़ों लोग अखाड़ों और संत समाज के प्रति गहरी आस्था रखते हैं।

अखाड़ों और संत समाज की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अखाड़ा परिषद के संतों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और डीजीपी से मिलकर सनातन धर्म और संतों की छवि खराब करने की कोशिशों में लगे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म को हानि पहुंचाने की कोशिशें सदियों से की जाती रही है।

लेकिन सनातन धर्म वट वृक्ष की भांति आज भी पूरी मजबूती से खड़ा है और हिंदू समाज का पथ प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद और पूरा संत समाज श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के साथ है। अखाड़े और संतों की छवि खराब करने का प्रयास करने वालों को बेनकाब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी अखाड़े, मठ, मंदिर के संत महंत के साथ यदि कोई ज्यादती करता है तो इसकी सूचना तुरंत अखाड़ा परिषद को दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *