स्वामी रामदेव के 29वें सन्यास दिवस पर पंतजलि में दस दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

Dharm Haridwar News
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अमरीश


रामनवमी पर सौ विदुषी व विद्वान लेंगे स्वामी रामदेव से संन्यास दीक्षा
हरिद्वार, 22 मार्च। योगगुरू स्वामी रामदेव के 29वें संन्यास दिवस के अवसर पर पतंजलि संन्यासाश्रम के तत्वावधान में 22 मार्च से 31 मार्च तक दस दिवसीय संन्यास दीक्षा महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। जिसमें रामनवमी को लगभग 40 विदुषी तथा 60 विद्वान स्वामी रामदेव महाराज से संन्यास दीक्षा लेंगे। साथ ही लगभग 500 प्रबुद्ध लोग आचार्य बालकृष्ण महाराज से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगे। इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने सन्यास दीक्षा लेने वाले साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि वैदिक परम्परा में सर्वोच्चतम पुष्प संन्यास है।

संन्यास अपने भीतर से खिलना चाहिए और संन्यासी को ऐसा अनुभव करना चाहिए कि मैं भगवत स्वरूप सृष्टि की सेवा के लिए समर्पित हो रहा हूँ।
स्वामी रामदेव ने कहा कि रामनवमी के दिन चार वेदों के महापारायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ रामराज्य की प्रतिष्ठा तथा हिन्दु राष्ट्र का गौरव अपने हृदय में संजोकर और सनातन धर्म को युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए सौ से अधिक नव-संन्यासी ऋषि-मुनियों की संन्यास परम्परा में दीक्षित होंगे। ये वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन अष्टाध्यायी, व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में निष्णात होकर योगधर्म, ऋषिधर्म, वेदधर्म, सनातन धर्म की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए संकल्पित होंगे।

इससे भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के अभियान को ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि पतंजलि में स्त्री-पुरुष, जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं का कोई भेद नहीं है। यहाँ सभी वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन समान भाव से इस ऐतिहासिक दिव्य-भव्य संन्यास दीक्षा में दीक्षित होकर सनातन धर्म की पताका पूरे विश्व में फहरायेंगे। स्वामी रामदेव ने कहा कि राममंदिर का निर्माण पूर्ण होने पर रामराज्य की प्रतिष्ठा होगी। राम मंदिर के साथ-साथ यह देश का राष्ट्र मंदिर भी बने। लोगों का चरित्र निर्माण हो, व्यक्तित्व का निर्माण हो तथा एक दिव्य नेतृत्व का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का लोकार्पण अगले वर्ष जनवरी में हो जाएगा तथा धारा 370 भी समाप्त हो गई है।

अब दो कार्य शेष हैं- समान नागरिक संहिता तथा जनसंख्या नियंत्रण का काम, यह भी 2024 तक हो ही जाना चाहिए। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि सत्य सनातन वैदिक परम्परा की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पतंजलि द्वारा अनेक वैदिक गुरुकुलों का संचालन किया जा रहा है। गुरुकुलों में जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं से रहित अनेक समुदायों व प्रांतों के सैकड़ों भाई-बहन प्राचीन शास्त्रों का गहन अध्ययन कर योग्य विद्वान् व विदुषियों के रूप में तैयार हो रहे हैं। जो संन्यास परम्परा में दीक्षित होकर राष्ट्र जागरण एवं आध्यात्मिक उत्थान के सात्विक नेतृत्व के लिए अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये संन्यासी भारत को विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने व हिन्दू सनातन धर्म को राष्ट्रधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने का संकल्प लेंगे।
10 दिवसीय महोत्सव में स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, कार्ष्णी पीठाधीश्वर गुरुशरणानंद महाराज, सरसंघ चालक मोहन भागवत सहित केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल होंगे।
इस अवसर पर साध्वी देवपिया, भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी. सिंह, अजय आर्य, बाबू पद्मसेन, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश कुमार ‘भारत’, स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव व संस्था के सभी वरिष्ठ उपस्थित रहे।

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