युगपुरूष थे ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज-स्वामी रामेश्वरानंद

Haridwar News
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अमरीशश


हरिद्वार, 1 सितम्बर। महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है जो युगों युगों से विश्व भर में भारत का नाम गौरवान्वित कर रही है। संत महापुरुषों ने हमेशा ही राष्ट्र को नई दिशा प्रदान कर एकता के सूत्र में पिरोया है। जस्साराम रोड स्थित जगतगुरु उदासीन आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज के 27वें निर्वाण दिवस के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज एक युगपुरुष थे।

जिन्होंने धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत किया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। बाबा हठयोगी एवं महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि जो सुख और दुख दोनों को समान भाव से देखता हो और ग्रहण करता हो। जिसे अपने मान अपमान स्तुति एवं निंदा की चिंता नहीं रहती और जो धैर्य व निष्काम भाव से काम करता है।

वही सच्चा संत है और इन्हीं सब सद्गुणों से ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज का जीवन परिचय था। संत समाज के इतिहास में उनका नाम सदैव अमर रहेगा। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए जगतगुरु उदासीन आश्रम के अध्यक्ष महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने सदैव भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर राष्ट्र निर्माण में सहयोग के लिए प्रेरित किया।

उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर आज आश्रम के सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी की जा रही है और संत समाज की सेवा करते हुए गौ गंगा संरक्षण एवं भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी गंगादास, महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशमुनि, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत प्रेमदास, महंत गंगादास, उदासीन महंत श्याम प्रकाश, महंत श्रवण मुनि, महंत श्यामदास, महंत ब्रह्ममुनि, महंत गोविंद दास उदासीन, महंत गुरमीत सिंह, महंत अरुण दास, महंत शिवानंद सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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