विक्की सैनी
हरिद्वार 31 मई। केन्द्र सरकार के मठ मंदिर खोले जाने के निर्णय से उत्साहित संत समाज ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय की पहल की सराहना करते हुए सरकार के आदेशों का स्वागत किया। केन्द्र सरकार का आभार जताते हुए श्री गरीबदासीय साधु आश्रम के स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों को खोले जाने का निर्णय स्वागत योग्य है। धार्मिक क्रियाकलापों के माध्यम से कोरोना वायरस देश दुनिया से समाप्त होगा।
उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन सुनिश्चित करने के लिए संत महापुरूष अपना योगदान देगें। उन्होंने कहा कि मठ मंदिर व पौरोणिक सिद्धपीठ खुलेगें तो आस्थावान श्रद्धालु प्रार्थनाओं के माध्यम से देश को कोरोना मुक्ति की कामना करेगें। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। देश को आर्थिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी आस्था की नगरी है। करोड़ों श्रद्धालु भक्त व आस्थावान श्रद्धालु मठ मंदिरों पौराणिक सिद्ध पीठों के दर्शन कर सकेगें।
स्वामी हरिहरानन्द महाराज ने कहा कि जब-जब देश पर कोई भी संकट आया है तो संत समाज ने अग्रणीय भूमिका निभाकर आर्थिक रूप से समाज की सहायता की है और सरकार के द्वारा कदम से कदम मिलाकर देश को उन्नति की ओर अग्रसर किया है। सरकार का धार्मिक स्थल खोले जाने का निर्णय प्रशंसनीय है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह का यह फैसला देश हित में स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि देश की जनता को पांचवें लाॅकडाउन के दिशा निर्देशों का पालन अवश्य करना चाहिये सोशल डिस्टेन्सिंग को मंदिरों में दर्शन करते समय दूरी का पालन अवश्य करना होगा। संत जगजीत सिंह महाराज व स्वामी दिनेश दास महाराज ने केन्द्र सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय अवश्य ही हित में निर्णायक साबित होगा।
चार धाम यात्रा प्रारम्भ होने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। आय के स्रोत बढ़ेगें। पर्यटन पर ही राज्य की प्रगति निर्भर करती है। मठ मंदिरों के खोले जाने के निर्णय से आश्रम अखाड़ों मंे श्रद्धालु भक्तों का आगमन होगा। व्यापारियों व आमजनमानस को इसका लाभ प्राप्त होगा। धर्मनगरी के संत समाज में इस निर्णय को लेकर हर्ष का माहौल बना हुआ है। मंदिर मंदिर खोले जाने का महंत श्यामप्रकाश, श्रीमहंत विनोद गिरि, महंत सूरजदास, महंत सुमितदास, स्वामी अरूणदास, स्वामी नित्यानंद, स्वामी केशवानन्द, महंत साधनानन्द, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी ललितानंद गिरि, महंत जमनादास, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत रोहित गिरि, स्वामी रघुवन, स्वामी आलोक गिरि आदि ने स्वागत किया।