राकेश वालिया
हरिद्वार, 10 जून। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने स्वामी शिवानन्द महाराज के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ब्रहमलीन स्वामी शिवानन्द वर्षों से सनातन परंपराओं का पूरे देश में प्रचार प्रसार करते चले आ रहे थे। मानव कल्याण व उत्थान में उनके योगदान को हमेशा ही याद किया जाएगा। उन्होंने हमेशा श्रद्धालु भक्तों को धार्मिक क्रियाकलापों, सनातन परंपरांओं व भारतीय संस्कृति की जानकारियां अपने मुखारबिन्द से दी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द महाराज अन्य युवा संतों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके दिखाए गए मार्गों का अनुसरण युवा संतों को भी करना चाहिए।
मंगलवार की देर शाम उत्तर प्रदेश के शामली में स्वामी शिवानन्द महाराज का हृदयगति रूकने से आकस्मिक निधन हो गया था। उनका निधन सनातन धर्म के लिए अपूर्णीय क्षति हुई है। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द महान संत थे। संत केवल शरीर त्यागते हैं। लेकिन उनकी आत्मा भक्तों के कल्याण के लिए सदैव समाज का मार्गदर्शन करती है। उन्होंने कहा कि संत की वाणी ही उनका वस्त्र होते हैं। अच्छी वाणी हमेशा ही समाज को प्रेरित करती है। कोरोना काल में संत समाज द्वारा मनुष्य कल्याण में अपना योगदान दिया गया। कोरोना काल में श्री दक्षिण काली मंदिर की ओर से शुरू किए विशेष सेवा प्रकल्पों को संचालित करने में भी ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द का विशेष योगदान रहा।
पंडित शिवकुमार शर्मा ने बताया कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द महाराज की अस्थियां बृहष्पतिवार को कनखल स्थित सती घाट पर पूर्ण विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द महाराज को श्रद्धांजलि देने वालों में स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, श्री महंत साधनानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी राजेंद्रानंद, भक्त दुर्गादास, स्वामी कपिलमुनि महाराज, महंत रूपेंद्र प्रकाश, महंत दामोदर दास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत सतनाम सिंह, महंत अमनदीप सिंह महाराज, महंत निर्मलदास सहित कई संत महंतों ने ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द महाराज को त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति बताया।