संतोषी कभी दरिद्र नहीं होता-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 24 जनवरी। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में विकास कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम पर दिवस भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि संतोषी कभी दरिद्र नहीं होता। सुदामा परम संतोषी ब्राह्मण थे। हमेशा भगवान का धन्यवाद कहते थे। बाल्यकाल में संदीपनी मुनि के गुरूकुल में विद्या अध्ययन के दौरान कृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई। विद्या अध्ययन के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए। समय बलवान होता है कृष्ण द्वारिकापुरी के राजा द्वारिकाधीश बन गए। परंतु सुदामा की स्थिति बहुत ही दयनीय थी।

सुदामा पत्नी सुशीला एवं दो बच्चों के साथ बेहद गरीबी में जीवन बिता रहे थे। ना खाने के लिए कुछ था, ना पहनने और ओढ़ने के लिए। परंतु सुदामा भगवान से कभी कुछ नहीं मांगते थे। हमेशा भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता को याद करते एवं उनकी भक्ति करते थे। परंतु कभी भी श्रीकृष्ण से किसी भी चीज की याचना नहीं की। एक बार पत्नी के कहने पर सुदामा एक पोटली में कृष्ण को देने के लिए दस मुट्ठी चावल लेकर उनसे मिलने के लिए द्वारिकापुरी पहुंचे। श्रीकृष्ण ने सुदामा का बहुत आदर सत्कार किया। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा उनसे कभी कुछ नहीं मांगेंगे। उन्होंने बिना सुदामा द्वारा लाए गए चावलों में से जब एक मुट्ठी चावल अपने मुख में डाला तो बिना मांगे ही ऊपर के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए और दूसरी मुट्ठी में नीचे के सातों लोक भी उनके नाम कर दिए। सु

दामा जब द्वारिकापुरी से लौट कर अपने गांव पहुंचे तो अपनी झोंपड़ी की जगह महलों को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। शास्त्री ने बताया कि भगवान अपने भक्तों को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। भगवान की कृपा से उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन में संतोष धारण कर निष्काम भाव से भगवान की भक्ति करनी चाहिए। मुख्य यजमान नरेंद्र ग्रोवर, ललिता ग्रोवर, रोहित ग्रोवर, अर्पिता ग्रोवर, जगदीश ग्रोवर, महेश ग्रोवर, ललित ग्रोवर, पूनम ग्रोवर, पारस ग्रोवर, जगदीश ग्रोवर, हरीश ग्रोवर, आरती ग्रोवर, अरुण ग्रोवर, राधा ग्रोवर, महेश देवी ग्रोवर, आकांक्षा, पुलकित, सोनाली, अभिनव, रश्मि, अजीत, अंकित, रोशनी, शांति, विष्णु गौड़, पंडित जगदीश प्रसाद, पंडित गणेश कोठारी आदि ने भागवत पूजन किया।

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